
मास्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन (President Vladimir Putin) ने पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी गणराज्यों डोनेट्स्क (Donetsk) और लुगांस्क (Lugansk) को स्वतंत्र मान्यता दे दी है। राष्ट्र के नाम संबोधन में पुतिन ने यह जानकारी दी है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के अलगाववादी नेताओं के साथ दोस्ती और सहायता समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। Kremlin में विद्रोही नेताओं के साथ म्यूचुअल सहायता समझौते पर हस्ताक्षर के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मेरा मानना है कि डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (Donetsk People's Republic) और लुगांस्क पीपुल्स रिपब्लिक (Lugansk People's Republic) की स्वतंत्रता और संप्रभुता को तुरंत पहचानने के लिए एक लंबे समय से लंबित निर्णय लेना आवश्यक है।
क्रेमलिन ने बताया फ्रांस और जर्मनी को दे दी गई जानकारी
राष्ट्रपति पुतिन के ऐलान के पहले क्रेमलिन ने बयान में कहा कि रूस के मान्यता देने के फैसले से फ्रांस और जर्मनी के नेताओं को सूचित कर दिया गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (Emmanuel Macron) और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ (Olaf Scholz) ने पुतिन के साथ फोन कॉल में निर्णय पर निराशा व्यक्त की लेकिन उसी समय, उन्होंने संपर्क जारी रखने के लिए अपनी तत्परता का संकेत दिया। पूर्वी यूक्रेन में कीव और रूस समर्थक विद्रोहियों के बीच संघर्ष में फ्रांस और जर्मनी मध्यस्थ हैं।
अलगाववादी नेताओं ने की थी स्वतंत्रता की अपील
इससे पहले सोमवार को पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों के विद्रोही नेताओं ने पुतिन से उन्हें स्वतंत्र के रूप में मान्यता देने की अपील की थी। उधर, क्रेमलिन ने कहा कि विद्रोहियों ने यूक्रेनी अधिकारियों द्वारा किए गए सैन्य आक्रमण और डोनबास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गोलाबारी के संबंध में अपील की थी, जिससे नागरिक आबादी में पीड़ा होती है। सोमवार को रूसी नेता Vladimir Putin ने क्रेमलिन में राष्ट्रीय सुरक्षा की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इसमें उनके शीर्ष अधिकारियों ने अलगाववादियों को मान्यता देने के पक्ष में उनके लिए भावुक भाषण दिए।
नाटो देशों के सामाने पुतिन ने तीन मांगे भी रखी...
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी ओर से तीन मांगे रखी है। पहली मांग में नाटो का पूर्वी दिशा में विस्तार न करना है। दूसरा अफेंसिव वेपेंन्स की तैनाती को रोकना है और तीसरा 1997 में नाटो जिस तरह था उसी तरह करना शामिल है।
मैक्रों ने यूक्रेन पर रक्षा परिषद की बैठक बुलाई
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने यूक्रेन में स्थिति का आकलन करने के लिए सोमवार को एक बैठक के लिए अपने देश की रक्षा और सुरक्षा परिषद बुलाई है। यूरोपीय संघ रूस पर प्रतिबंध लगाने के लिए आगे बढ़ेगा। यूरोपीय संघ ने पहले ही यह चेतावनी दे दी थी कि यदि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के अलगाववादी क्षेत्रों को स्वतंत्र के रूप में मान्यता देते हैं तो प्रतिबंध झेलने पड़ेंगे।
ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की एक बैठक के बाद बोरेल ने कहा, "हम राष्ट्रपति पुतिन से अंतरराष्ट्रीय कानून और मिन्स्क समझौतों का सम्मान करने और लुगांस्क और डोनेट्स्क विस्फोटों की स्वतंत्रता को मान्यता नहीं देने की उम्मीद करते हैं।"
क्या है Russia-Ukraine conflict ?
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है। शीत युद्ध के बाद से यूक्रेन के आसपास सैनिकों की टुकड़ी को यूरोप में सबसे खराब सुरक्षा जोखिम के रूप में देखा जा रहा है। तनाव का मुख्य कारण यूक्रेन का अमेरिकी नेतृत्व वाले सैन्य संगठन नाटो से करीबी संबंध है। यूक्रेन की कोशिश है कि उसे नाटो में शामिल कर लिया जाए। वहीं, रूस को यह मंजूर नहीं कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाए और इस संगठन की सेनाएं उसकी सीमा के करीब पहुंच जाए। रूस इसे अपने लिए खतरे के रूप में देखता है।
यूक्रेन को नाटो का सदस्य बनने से रोकने के लिए रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास एक लाख से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। इसके साथ ही उसने बेलारूस और ब्लैक सी में भी सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया है। रूस ने अमेरिका से इस बात की गारंटी की मांग की थी कि यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनाया जाएगा। अमेरिका ने ऐसी कोई गारंटी देने से इनकार कर दिया था।
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