रूस-यूक्रेन युद्ध: SCO शिखर सम्मेलन में मोदी बोले थे-यह युद्ध का समय नहीं, अमेरिका-फ्रांस ने कहा-बिलकुल सही

उज़्बेकिस्तान(Uzbekistan) के शहर समरकंद में 15 और 16 सितंबर को हुए शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO के शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बयान दुनियाभर में सराहा जा रहा है। 

Amitabh Budholiya | Published : Sep 21, 2022 1:52 AM IST / Updated: Sep 21 2022, 01:31 PM IST

वाशिंगटन(Washington). उज़्बेकिस्तान(Uzbekistan) के शहर समरकंद में 15 और 16 सितंबर को हुए शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO के शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बयान दुनियाभर में सराहा जा रहा है। अमेरिका और फ्रांस दोनों ने उनके इस बयान को सराहा है। मोदी ने कहा था रूस से युद्ध समाप्त करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि ये युद्ध का समय नहीं('not time for war) है। (FILE PIC: जर्मनी में G-7 शिखर सम्मेलन के इतर एक बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ बातचीत करते हुए)

न्यूयॉर्क में यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली(UNGA) में फ्रांस के राष्ट्रपति  इमैनुएल मैक्रों(Emmanuel Macron) ने कहा कि भारतीय पीएम मोदी सही थे, जब उन्होंने कहा कि समय युद्ध का नहीं, पश्चिम से बदला लेने का या पूर्व के खिलाफ पश्चिम का विरोध करने का नहीं है। यह हमारे समान संप्रभु राज्यों के लिए हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने का समय है। मैक्रों ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र की आम बहस में अपने संबोधन के दौरान ये बात कही। उन्होंने कहा कि उत्तर और दक्षिण के बीच तत्काल एक प्रभावी कॉन्ट्रेक्ट डेवलम करने की जरूरत है, जो फूड, जैव विविधता(biodiversity) और शिक्षा के लिए सम्मानजनक है। UNGA सत्र में मैक्रों ने उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हो सकता है, ताकि अधिक प्रतिनिधिनित्व हो, नए स्थायी सदस्यों का स्वागत करे और सामूहिक अपराधों के मामले में वीटो के उपयोग को प्रतिबंधित करके अपनी पूरी भूमिका निभाने में सक्षम रहे। जनरल डिबेट के उद्घाटन के दिन अपने संबोधन में फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा, "ऐसे देश जिन्होंने इस युद्ध में तटस्थता का एक रूप चुना है। जो लोग कह रहे हैं कि वे गुटनिरपेक्ष हैं, वे गलत हैं। वे एक ऐतिहासिक गलती कर रहे हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन की लड़ाई शांति की लड़ाई है। उन्होंने शांति, राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए लड़ाई लड़ी। मैक्रों ने कहा, "रूस आज दोहरा मापदंड बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यूक्रेन में युद्ध ऐसा संघर्ष नहीं होना चाहिए जो किसी को भी उदासीन छोड़ दे। उधर, अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एडवायजर जेक सुलिवन(Jake Sullivan)  ने भी मंगलवार को मोदी के इस बयान का स्वागत किया। SCO शिखर सम्मेलन के मौके पर पीएम मोदी के बयान पर मीडिया के एक सवाल के जवाब में सुलिवन ने कहा, "मुझे लगता है कि प्रधान मंत्री मोदी ने जो कहा,  वह सही है। 

रूस ने की आंशिक सैन्य लामबंदी का ऐलान
पिछले 7 महीने से चले आ रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुआ है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने बुधवार को रूस में आंशिक सैन्य लामबंदी (Partial Military Mobilization) का ऐलान किया है। पुतिन ने पश्चिमी देशों, खासतौर पर अमेरिका को चेतावनी दी कि रूस के पास हथियारों की कमी नहीं है। पुतिन ने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश रूस को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं। पुतिन ने मोर्च पर 3 लाख रिजर्व सैनिक भेजने का भी ऐलान किया है। राष्ट्र को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि उसके दो मिलियन-मजबूत सैन्य भंडार का आंशिक जमाव रूस और उसके क्षेत्रों की रक्षा के लिए था। पुतिन ने आरोप लगाया कि पश्चिम देश यूक्रेन में शांति नहीं चाहते हैं। पुतिन ने साफ कहा कि मातृभूमि और इसकी संप्रभुता की रक्षा के लिए वह आंशिक लामबंदी पर जनरल स्टाफ के फैसले का समर्थन करना जरूरी समझते हैं। पुतिन ने साफ कहा कि उनका मकसदपूर्वी यूक्रेन के डोनबास औद्योगिक क्षेत्र को मुक्त कराना था। आंशिक सैन्य लामबंदी बुधवार से लागू हो गई।

यूक्रेन में रूस का जनमत संग्रह(Russia's referendum in Ukraine sham) दिखावा: अमेरिका
अमेरिका ने रूस के नियंत्रण वाले पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन के क्षेत्रों में जनमत संग्रह कराने की प्लानिंग को दिखावा करार देकर आलोचना की है। अमेरिका ने जनमत संग्रह के जरिये इन क्षेत्रों को रूस का अभिन्न अंग बनाने की योजना को एक दिखावा और संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता(sovereignty and territorial integrity) के सिद्धांतों का अपमान करार दिया है।

नेशनल सिक्योरिटी एडवायजर जेक सुलिवन(Jake Sullivan) ने मंगलवार को दावा किया कि इन जनमत संग्रह में हेरफेर किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूक्रेन के किसी भी कथित हिस्से पर रूस के दावों को अमेरिका कभी मान्यता नहीं देगा। सुलिवन ने व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "ये जनमत संग्रह संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों का अपमान है। हम जानते हैं कि इन जनमत संग्रह में हेरफेर किया जाएगा। रूस इन नकली जनमत संग्रह का उपयोग इन क्षेत्रों को अभी या भविष्य में कथित रूप से जोड़ने के लिए एक बेस के रूप में करेगा।"

बिडेन के प्रशासन में नेशनल सिक्योरिटी एडवायजर सुलिवन ने कहा कि "हम इस क्षेत्र को कभी भी यूक्रेन के एक हिस्से के अलावा किसी और चीज़ के रूप में मान्यता नहीं देंगे। हम रूस के कार्यों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं। हम रूस पर लगाम लगाने के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे।" सुलिवन ने कहा कि अमेरिका उन रिपोर्टों से अवगत है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लामबंदी उपायों की तैयारी कर रहे हैं। वे रूसियों को यूक्रेन में अपने क्रूर युद्ध से लड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें और अधिक कर्मियों और जनशक्ति की आवश्यकता है। विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी युद्ध के मैदान में यूक्रेन को मिली सफलता को देखते हुए। सुलिवन ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन को आर्म्स सिस्टम के साथ सप्लाई कर रहा है, जिसमें पिछले हफ्ते ही 60 करोड़ डॉलर से अधिक के हथियारों की घोषणा भी शामिल है।

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