जयशंकर का तीखा प्रहार: पश्चिम ने पाकिस्तान में सेना का समर्थन कर लोकतंत्र को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाया

Published : May 23, 2025, 11:32 PM ISTUpdated : May 24, 2025, 12:16 AM IST
S Jaishankar on OS

सार

S Jaishankar slams west: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने डेनमार्क में इंटरव्यू के दौरान पश्चिमी देशों पर पाकिस्तान की सेना का समर्थन करने का आरोप लगाया। रूस से तेल आयात, कश्मीर पर आतंकवाद और उभरते बहुध्रुवीय विश्व पर भी रखी अपनी बेबाक राय।

S Jaishankar slams west: यूरोप दौरे के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने डेनमार्क के प्रमुख अखबार 'पोलिटिकेन' को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान, पश्चिमी देशों और वैश्विक व्यवस्था को लेकर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को जितना नुकसान पाकिस्तान में पश्चिम ने सेना का समर्थन कर किया है, उतना किसी और ने नहीं किया।

पश्चिम पर सीधा प्रहार

जयशंकर ने कहा कि कोई और नहीं बल्कि पश्चिम ने पाकिस्तान में सैन्य शासन को सबसे अधिक समर्थन दिया है और वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर किया है। उन्होंने बताया कि 1947 से ही पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं का उल्लंघन किया है, लेकिन इसके बावजूद पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों ने वहां की सैन्य तानाशाही के साथ खड़े रहना चुना। उन्होंने पूछा कि आप सीमाओं की पवित्रता की बात करते हैं तो क्यों न हम मेरी सीमाओं की पवित्रता से शुरुआत करें? वहीं से मेरी दुनिया शुरू होती है।

कश्मीर में संघर्ष नहीं, आतंकवाद है मुद्दा

विदेश मंत्री जयशंकर साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा संघर्ष कश्मीर को लेकर नहीं बल्कि आतंकवाद को लेकर है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे, जिसके जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया।

रूस से तेल आयात पर स्पष्ट संदेश

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से कच्चे तेल के आयात पर उठे सवालों का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए ऊर्जा जीवन और मृत्यु का सवाल है। उन्होंने कहा: यूरोप ने मिडिल ईस्ट से तेल खरीदने के लिए ऊंची कीमतें दीं, जिससे हम जैसे देशों को तेल खरीदना मुश्किल हो गया। क्या हम कह दें कि हमें ऊर्जा की ज़रूरत नहीं, क्योंकि यूरोप को ज़्यादा ज़रूरत है? उन्होंने यह भी कहा कि जब ईरान और वेनेजुएला जैसे तेल उत्पादक देश भी पश्चिमी प्रतिबंधों के शिकार हैं, तब दुनिया के गरीब देशों को अपनी राह खुद तलाशनी होगी।

नई विश्व व्यवस्था की ओर, राजनीति पानी की तरह अपना रास्ता ढूंढ लेगी

जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में विश्व एक नई बहुध्रुवीय व्यवस्था (Multipolar World Order) की ओर बढ़ रहा है। यह पूरी तरह नया विश्व क्रम नहीं है, बल्कि पुरानी व्यवस्था से धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। आज का वैश्विक परिदृश्य पहले से कम पश्चिमी, अधिक विविधतापूर्ण, अधिक एशियाई और अधिक वैश्विक होता जा रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वैश्विक संस्थाएं जैसे संयुक्त राष्ट्र (UN) अब प्रासंगिक नहीं रह गई हैं क्योंकि उनमें आज की वैश्विक हकीकतों का प्रतिनिधित्व नहीं है। जयशंकर ने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि राजनीति पानी की तरह है। वह अपना रास्ता ढूंढ लेती है। अगर वर्तमान संस्थाएं काम नहीं करेंगी तो देश अन्य सहयोग के रास्ते ढूंढ लेंगे।

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