तुर्कमेनिस्तान के तानाशाह ने खुद को आजीवन राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। 20 साल तक देश पर राज के दौरान उसने कई अजीबोगरीब बदलाव किए, जिससे जनता तंग आ गई थी। यहां तक कि उसने जनवरी महीने का नाम भी अपने नाम पर रख लिया था। जानते हैं कौन था ये तानाशाह?
इंटरनेशनल डेस्क। नाम में क्या रखा है...ये कहावत तो बचपन में हर किसी ने सुनी होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा शख्स भी हुआ, जो ये मानता था कि नाम में ही सबकुछ रखा है। दुनिया के एक देश में 20 साल तक राज करने वाले या यूं कहें कि तानाशाही करने वाले इस शख्स ने साल के एक महीने का नाम ही अपने नाम पर रख लिया था। जानते हैं पूरा किस्सा...
ये किस्सा है तुर्कमेनिस्तान के तानाशाह राष्ट्रपति सपरमुरात अतायेविच न्याजोव का। उसने इस देश पर 20 साल तक राज किया और कई अजीबोगरीब बदलाव कर डाले। इनमें सबसे ज्यादा चर्चित वो नाम रहे, जिसे उसने सिर्फ अपनी सनक में बदल दिया। दरअसल, सोवियत संघ के टूटने के बाद तुर्कमेनिस्तान एक अलग देश बना। कभी USSR के प्रति वफादार रहे न्याजोव ने नया देश बनते ही राष्ट्रपति पद अपने पास ले लिया।
अगले साल न्याजोव ने राष्ट्रपति चुनाव कराया तो इसमें वो अकेला उम्मीदवार था। यानी न्याजोव के खिलाफ चुनाव लड़ने की कोई हिम्मत ही न जुटा सका। इसके बाद उसने अगले 10 साल तक अपने हिसाब से सत्ता चलाई और 1999 में खुद को आजीवन राष्ट्रपति घोषित कर दिया। इसके बाद तो न्याजोव ने तानाशाही की हद कर दी। उसने देश की हर एक चीज का नाम अपने नाम पर रुखना शुरू कर दिया।
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न्याजोव ने तुर्कमेनिस्तान में अपनी 15 मीटर ऊंची सोने की परत चढ़ी एक मूर्ति बनवाई, जिसका मुंह पूर्व दिशा की ओर रखा। इसके बाद उसने राजधानी अश्गाबात में एक बर्फ का महल बनवाया। इसके अलावा उसने रेगिस्तान में एक झील बनाने का भी ऑर्डर दे डाला। हद तो तब हो गई, जब उसने महीनों और दिन के नाम अपने परिवार के सदस्यों पर रख दिए। इतना ही नहीं, जनवरी महीने का नाम अपने खुद के नाम पर कर लिया।
न्याजोव ने देश के राष्ट्रगान को भी बदल दिया। नाम बदलने के साथ ही उसे चीजों पर बैन लगाने का बहुत शौक था। उसने कई नाटकों, ओपेरा को बैन कर दिया। देश में पुरुषों के लंबे बाल बैन कर दिए। दांतों को मजबूत बनाने के लिए लोगों को हड्डियां चबाने की सलाह दी। 20 साल तक मनमानी करने और लोगों को नाको चने चबवाने के बाद 2006 में इस तानाशाह ने दुनिया को अलविदा कहा।
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