
बेरूत: वित्तीय रूप से परेशान लेबनान (Lebanon) क्षेत्रीय दिग्गजों सऊदी अरब (Saudi Arabia) और ईरान (Iran)के बीच फंस गया है। रियाद (Riyadh)और अन्य खाड़ी देशों लेबनानी दूत को निष्कासित कर दिया है। सऊदी अरब ने यह निर्णय यमन युद्ध पर लेबनान के लिए एक मंत्री द्वारा की गई "अपमानजनक" टिप्पणी के बाद लिया है।
लेबनान से निलंबित किए सभी इम्पोर्ट
सऊदी अरब ने लेबनान के राजदूत को देश छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय दिया था। इसके बाद बेरूत से अपने दूत को वापस बुला लिया और लेबनान से सभी आयात को निलंबित भी कर दिया। संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन (Bahrin) और कुवैत (Kuwait) ने भी तुरंत इसका अनुसरण किया है।
लेबनान के लिए यह एक नया झटका
वित्तीय और राजनीतिक उथल-पुथल वाले देश लेबनान के लिए यह संकट एक नया झटका है, जहां एक नाजुक सरकार अमीर अरब पड़ोसियों से अंतरराष्ट्रीय सहायता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है।
क्या है सऊदी अरब देशों की नाराजगी की वजह?
दरअसल, लेबनान के सूचना मंत्री जॉर्जेस कोर्डाही ने एक इंटरव्यू में यमन युद्ध के दौरान टिप्पणी की थी। मंत्री ने यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी के नेतृत्व वाले सैन्य हस्तक्षेप की निंदा की थी। कोर्डाही ने कहा कि हूथी "बाहरी आक्रमण के खिलाफ अपना बचाव कर रहे थे।" इसके बाद सऊदी अरब और उसके सहयोगियों ने गुस्से में फटकार लगाई और लेबनान में उनके इस्तीफे के लिए मांग किया।
सऊदी अरब और ईरान के बीच पिस रहा लेबनान
सुन्नी बहुल सऊदी अरब और शिया बहुल ईरान के बीच पांच साल की दरार है। दोनों कट्टर प्रतिद्वंद्वियों ने 2016 में राजनयिक संबंधों को तोड़ लिया था। विशेषज्ञों की मानें तो रियाद और तेहरान के बीच तल्खी की कीमत लेबनान को चुकाना पड़ रहा है। एक विश्लेषक ने टिप्पणी की है कि जब दो हाथी लड़ते हैं, तो सबसे अधिक नुकसान घास को ही होता है।
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