अफगानिस्तान में सक्रिय IS-K ने चीन के बाद अब पाकिस्तान को मिटाने की दी धमकी

आईएसआईएस खोरासान ने कहा कि उसका पहला लक्ष्य शरिया कानून को लागू करने का है। यह भी चेतावनी दी है कि दुनिया में जो भी इस्लाम और कुरान के खिलाफ जाएगा उसे आतंकवादी समूह के क्रोध का सामना करना पड़ेगा।

Asianet News Hindi | Published : Oct 31, 2021 5:10 AM IST

काबुल। अफगानिस्तान के आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासन (IS-K) ने चीन (China) के बाद अब पाकिस्तान (Pakistan) को धमकी दी है। IS-खोरासान यानी दाएश ने कहा कि पाकिस्तान को नष्ट करना हमारा प्रथम लक्ष्य है। क्योंकि अफगानिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है उसमें पाकिस्तान का सबसे बड़ा हाथ है। आईएस-के ने कहा कि तालिबान के बाद से अफगानिस्तान बद से बदतर होता चला गया है। आईएस ने "अफगानिस्तान को नष्ट करने" का आरोप लगाया है। 

शरिया के लिए कानून बनाना लक्ष्य

आईएसआईएस खोरासान ने कहा कि उसका पहला लक्ष्य शरिया कानून को लागू करने का है। यह भी चेतावनी दी है कि दुनिया में जो भी इस्लाम और कुरान के खिलाफ जाएगा उसे आतंकवादी समूह के क्रोध का सामना करना पड़ेगा।

हम शरिया कानून को लागू करेंगे: नजिफुल्लाह

एक मीडिया रिपोट में यूएस-अफगान सिक्योरिटी फोर्सेस और तालिबान का मोस्ट वांटेड नजिफुल्लाह के हवाले से कहा कि, 'हम शरिया कानून को लागू करना चाहते हैं। जिस तरह से हमारे पैंगम्बर रहते थे, हम चाहते हैं कि हम उसी रास्ते को लागू करें। जिस तरह से वो कपड़े पहनते थे, हिजाब पहनते थे...इस वक्त हमें अब और लड़ाई नहीं करनी है। लेकिन अगर आप मुझे कुछ दे रहे हैं तो, तो अब मैं पाकिस्तान से लड़ने जा रहा हूं।'' नजिफुल्लाह ने कहा कि वो तालिबान के झूठे वादों से तंग आ चुका था और इसीलिए उसने खोरासान ज्वाइन किया।

तालिबान और आईएस-के बीच बढ़ी हैं दूरियां

दरअसल, बीते 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। इसके पहले अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए सभी आतंकी संगठनों ने एकजुट होकर अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ जंग लड़ी थी। हालांकि, तालिबान के सत्ता में आने के बाद आईएस-के के कई लड़ाकों को अरेस्ट किया गया। आईएस-के पर शिया मुसलमानों को मारने का आरोप लगने लगे।

उधर, चीन के दबाव में उइगर मुसलमानों की मदद के चलते तालिबान ने आईएस-के पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। आरोप है कि तालिबान शासन के बाद आईएस-के ने कई हमले कराए। बताया जाता है कि आईएस-के के ज्यादातर सदस्य तालिबान और पाकिस्तान से हैं। आईएस-के की सोच खलीफा राज पर आधारित है। यह भी एक कट्टर संगठन है। 

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