बुर्के से बाहर आ रही हैं सऊदी अरब की महिलाएं

रियाद के एक मॉल में बिना बुर्का पहने जब एक महिला गई तो उन्हें आते-जाते घूरती नजरों का सामना करना पड़ा और कुछ ने तो पुलिस बुलाने की धमकी भी दे दी। दरअसल इस इस्लामिक देश में काले रंग का पारंपरिक बुर्का पहनना महिलाओं के कपड़े में शुमार है और इसे महिलाओं की पवित्रता के रूप में देखा जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 13, 2019 11:12 AM IST / Updated: Sep 13 2019, 04:49 PM IST

रियाद. सऊदी अरब में कुछ महिलाएं पारंपरिक  बुर्का पहनना बंद कर रही हैं। रियाद के एक मॉल में बिना बुर्का पहने जब एक महिला गई तो उन्हें आते-जाते घूरती नजरों का सामना करना पड़ा और कुछ ने तो पुलिस बुलाने की धमकी भी दे दी। दरअसल इस इस्लामिक देश में काले रंग का पारंपरिक बुर्का पहनना महिलाओं के कपड़े में शुमार है और इसे महिलाओं की पवित्रता के रूप में देखा जाता है।

नहीं है कोई औपचारिक नियम 
पिछले साल शहजादा मोहम्मद बिन सलमान ने ‘सीबीएस’ के साथ साक्षात्कार में कहा था कि ड्रेस कोड में छूट दी जा सकती है। उनका कहना था कि यह पोशाक इस्लाम में अनिवार्य नहीं है। लेकिन इसके बाद भी कोई औपचारिक नियम नहीं बनने के कारण यह चलन बरकरार है। हालांकि कुछ महिलाओं ने सोशल मीडिया पर कपड़े पर इस तरह के प्रतिबंध के खिलाफ आवाज भी उठाई और अपने बुर्के से इतर पोशाक में तस्वीरें भी डाली। यह घटना सऊदी अरब में दुर्लभ ही है।

कई महिलाओं ने छोड़ा बुर्का 
अब कुछ महिलाएं चमकीले रंगों का बुर्का सार्वजनिक तौर पर पहन रही हैं। मशाल-अल-जालुद ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अब बुर्का पहनना ही बंद कर दिया। 33 वर्षीय जालुद पिछले सप्ताह एक मॉल में ट्राउजर और गहरे गुलाबी रंग के टॉप में दिखी। भीड़ में से कई लोग उन पर सवाल कर रहे थे। जालुद के अलावा 25 वर्षीय मनाहेल-अल ओतैबी ने भी बुर्का पहनना छोड़ दिया। उन्होंने कहा, पिछले चार महीने से रियाद में मैं बिना बुर्का के रह रही हूं। उन्होंने कहा, मैं उसी तरह जीना चाहती हूं, जैसा मैं चाहती हूं। बिना प्रतिबंधों के मैं मुक्त जीना चाहती हूं। किसी को भी मुझे वह पहनने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए, जो मैं चाहती ही नहीं हूं। वहीं जालुद का कहना है कि बिना किसी स्पष्ट नियम के, बिना सुरक्षा के उन्हें खतरा हो सकता है। जुलाई में उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने बताया था रियाद के एक और मॉल ने उन्हें बिना बुर्का के प्रवेश नहीं दिया।

(नोट- यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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