Video: बेरोजगारी का खौफनाक सच, चपरासी बनने के लिए लंबी लाइन कर देगी परेशान

कनाडा के एक रेस्तरां में चपरासी और वेटर की नौकरियों के लिए हजारों भारतीय छात्रों की लाइन का वीडियो वायरल होने के बाद, भारत में बेरोजगारी और विदेशों में अवसरों पर बहस छिड़ गई है।

Queue for Waiter and Servant Job: भारत में बेरोजगारी की खौफनाक स्थितियां पलायन को मजबूर कर रही हैं। हजारों-हजारों लोग काम की तलाश में दुनिया के दूसरे देशों में पलायन कर रहे हैं। भारत में चपरासी और फोर्थ क्लास के जॉब के लिए पीएचडी से लेकर उच्च शिक्षित युवाओं के आवेदन के बाद अब विदेशों में भारतीयों की चपरासी और वेटर जैसे जॉब के लिए लंबी-लंबी लाइन परेशान कर रही है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक होटल में चपरासी और वेटर की नौकरी के लिए भारी संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स के आवेदन और लंबी लाइन हैरान कर रही है।

दरअसल, कनाडा के ब्रैम्पटन शहर का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में काफी संख्या में भारतीय तंदूरी फ्लेम रेस्त्रां के बाहर लाइन लगाए हुए हैं। रेस्टोरेंट में चपरासी और वेटर की जरूरत के लिए विज्ञापन के बाद 3000 से अधिक भारतीय वहां लाइन लगाए दिख रहे हैं। मेघ अपडेट्स नामक एक सोशल मीडिया यूजर ने एक्स पर वीडियो पोस्ट किया है। हालांकि, एशियानेट न्यूज इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

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वीडियो सामने आने के बाद नई बहस छिड़ी

इस वीडियो ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों, खासकर कनाडा में अध्ययन या काम करने के इच्छुक छात्रों के लिए उपलब्ध अवसरों के बारे में बहस छेड़ दी है। मेघ अपडेट्स द्वारा एक्स पर वीडियो पोस्ट कर लिखा: कनाडा से डरावने दृश्य, जब ब्रैम्पटन में एक नए रेस्तरां के विज्ञापन के बाद वेटर और नौकर की नौकरी के लिए 3,000 छात्र (ज्यादातर भारतीय) कतार में खड़े हैं। ट्रूडो के कनाडा में भारी बेरोजगारी? सुनहरे सपने लेकर भारत से कनाडा जा रहे छात्रों को गंभीर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है!

एक यूजर ने कहा: लोगों को यह समझने की ज़रूरत है कि मंदी के दौर में विदेश जाने का यह सही समय नहीं है। तो दूसरे ने लिखा कि अगर ये लोग विदेश न जाएं तो क्या यहां उनको अवसर उपलब्ध है?

अन्य लोगों ने छात्रों का बचाव करते हुए कहा कि कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए रेस्तरां में अंशकालिक काम करना एक आम बात है। एक यूजर ने लिखा कि अगर वे छात्र हैं और अभी भी पढ़ाई कर रहे हैं तो रेस्तरां में काम करना शायद खुद का खर्च चलाने के लिए अंशकालिक काम है। इसे बेरोज़गारी नहीं कहा जाना चाहिए।

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