झकझोर देने वाली कहानीः 1.7 करोड़ का लोन-चुकाने पड़े 146 करोड़! घर भी बिक गया

Published : Dec 29, 2025, 11:18 AM IST
Loan

सार

सिंगापुर में एक व्यक्ति ने 1.7 करोड़ का लोन लिया। 4% मासिक ब्याज व जुर्माने के कारण 4 साल में यह कर्ज 146 करोड़ हो गया। उसे अपना घर बेचना पड़ा। कोर्ट ने इसे 'विवेक को झकझोरने वाला' बताकर जांच का आदेश दिया।

ब्लेड, वट्टी, पट्टा जैसे नामों से गांवों-कस्बों में ब्याज पर पैसा देने वाले आज भी सक्रिय हैं. सरकार कानून बनाकर ऐसे गैर-कानूनी लेन-देन को रोकने की कोशिश तो करती है, लेकिन जब तक जरूरतमंद लोग हैं, ये धंधा कानूनी दांव-पेंच से बचकर फलता-फूलता रहता है. ऐसे प्राइवेट साहूकारों से कर्ज लेकर कई लोगों ने अपनी जान और जिंदगी दोनों गंवाई है. ऐसी ही एक कहानी सिंगापुर से सामने आई है।

लिया 1.7 करोड़, चुकाया 146 करोड़

द स्ट्रेट्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर के एक नागरिक ने एक साहूकार कंपनी से 2,50,000 सिंगापुर डॉलर (करीब 1.7 करोड़ रुपये) का लोन लिया था. सिर्फ 4 साल बाद, भारी ब्याज दरों और दूसरे जुर्मानों के कारण उसे करीब 21 मिलियन सिंगापुर डॉलर (लगभग 146 करोड़ रुपये) चुकाने पड़े. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पैसे चुकाने के लिए उसे अपना घर तक बेचना पड़ा. इस शख्स ने, जिसका नाम नहीं बताया गया है, 2010 और 2011 के बीच एक लाइसेंसी साहूकार कंपनी से 1.7 करोड़ रुपये उधार लिए थे।

ब्याज का जाल

कंपनी हर महीने 4% की ब्याज दर वसूल रही थी. इसके साथ ही, हर महीने 8% की लेट पेमेंट पेनल्टी भी थी. इन सबके ऊपर, शुरुआती लोन पर हर महीने 2,500 सिंगापुर डॉलर (करीब 1,74,000 रुपये) की लेट पेमेंट प्रोसेसिंग फीस भी लगाई गई. सिर्फ चार साल में, इन सभी शुल्कों और भारी ब्याज दरों के कारण, उसका लोन 1.7 करोड़ से बढ़कर 146 करोड़ रुपये हो गया. जुलाई 2016 में, उसे किस्तें चुकाने में मुश्किल होने लगी. इसके बाद उसने अपना घर साहूकार कंपनी के डायरेक्टर को 14 करोड़ रुपये में बेच दिया. साथ ही, उसने डायरेक्टर के साथ हर महीने 4.90 लाख से 5.95 लाख रुपये तक का किराया देने का एक एग्रीमेंट भी किया. लेकिन, कर्ज बढ़ता ही रहा. 2021 के आखिर तक कर्ज बढ़कर 148 करोड़ रुपये हो गया।

जज ने भी उठाए सवाल

जब कर्ज और बढ़ गया, तो उसने किराया देने और डायरेक्टर को बेचा गया घर खाली करने से मना कर दिया. इसके बाद साहूकार कंपनी और उस शख्स के बीच जिला अदालत में मामला पहुंच गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी के बाद यह घटना दुनिया के सामने आई. फिर, हाईकोर्ट के जज फिलिप जयरत्नम ने यह जांच करने का आदेश दिया कि क्या लोन एग्रीमेंट और रेंट एग्रीमेंट में कुछ गैर-कानूनी था. जज ने कहा कि ब्याज के नाम पर इतनी बड़ी रकम वसूलना 'विवेक को झकझोरने वाला' है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मामले की आगे की जांच चल रही है और इस केस ने पैसे पर ब्याज वसूलने के नैतिक पहलुओं पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है।

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