श्रीलंका के नए पीएम ने संभाला पदभार, कहा- 'प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं'

श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने कहा है कि वह भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों की आशा करते हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक सहायता के लिए वह प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी को धन्यवाद देना चाहते हैं।

Asianet News Hindi | Published : May 13, 2022 6:08 AM IST

कोलंबो। श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने पदभार संभाल लिया है। उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों की आशा करते हैं। रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका को आजादी के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से निपटने के लिए दी गई आर्थिक सहायता के लिए भारत को धन्यवाद दिया।

देश की कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और राजनीतिक उथल-पुथल को खत्म करने के लिए 73 वर्षीय रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को श्रीलंका के 26वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने अपने देश को भारतीय आर्थिक सहायता का जिक्र करते हुए कहा, "मैं एक करीबी रिश्ता चाहता हूं और मैं प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं।" प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कहा कि उनका ध्यान आर्थिक संकट से निपटने तक सीमित है। पीएम ने कहा, "मैं लोगों को पेट्रोल, डीजल और बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस समस्या का समाधान करना चाहता हूं।"

भारत ने दी है 3 बिलियन अमरीकी डॉलर की मदद
बता दें कि भारत ने इस साल जनवरी से कर्जों, क्रेडिट लाइनों और क्रेडिट स्वैप में श्रीलंका को 3 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक की मदद दी है। भारत ने गुरुवार को कहा था कि वह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुसार गठित नई श्रीलंकाई सरकार के साथ काम करने के लिए उत्सुक है और द्वीप राष्ट्र के लोगों के लिए नई दिल्ली की प्रतिबद्धता जारी रहेगी।

महिंदा राजपक्षे ने दिया था इस्तीफा
73 वर्षीय यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता ने प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला। सोमवार से देश में सरकार नहीं थी। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने हमले के बाद हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। 

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1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यह संकट आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण हुआ है, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता है। इसके चलते तीव्र आर्थिक संकट पैदा हो गया है। खाने-पीने के सामनों की कमी हो गई है कीतमें  बहुत अधिक बढ़ गईं हैं।

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