श्रीलंका में हिंसा Live Update: अज्ञात जगह से शासन चला रहे गोटाबया, ऑफिस को मिलने लगा राष्ट्रपति का आदेश

श्रीलंका में स्थितियां बेकाबू होती जा रही हैं। राजपक्षे परिवार की राजनीति इस आर्थिक बदहाली की वजह से समाप्त हो चुकी है। देश में शांति स्थापना के लिए सेना लगातार अपील कर रही है। सर्वदलीय सरकार बनाने की दिशा में राजनीतिक दल बातचीत कर रहे हैं।

कोलंबो। श्रीलंका में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। राष्ट्रपति आवास पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा, पीएम रानिल विक्रमसिंघे के आवास को आग के हवाले करने के बाद दूसरे दिन भी लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। अराजक हो चुकी स्थितियों को संभालने के लिए सेना ने हस्तक्षेप किया है। श्रीलंकाई सेना के प्रमुख जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील के साथ ही उनका समर्थन मांगा है। उन्होंने कहा कि लोगों के सहयोग के बिना देश की स्थिति को पटरी पर लाना संभव नहीं है। अशांति के बीच पिछले दो दिनों में चार मंत्रियों ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। उधर, भीड़ के उन्माद की वजह से राष्ट्रपति भवन छोड़कर भागे राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे काम पर लौट गए हैं। वह अपने ऑफिस के संपर्क में हैं। हालांकि, वह अभी अज्ञात जगह से ही काम कर रहे हैं। 

अज्ञात स्थान से राष्ट्रपति ने दिया गैस वितरण का आदेश

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श्रीलंका को 3700 मिट्रिक टन एलपीजी की सप्लाई मिली है। एक दिन बाद यानी 11 जुलाई को 3740 मिट्रिक टन और 15 जुलाई को 3200 मिट्रिक टन एलपीजी की खेप पहुंच जाएगी। पहली खेप पहुंचने के बाद राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने लोगों को घरेलू गैस का वितरण तत्काल शुरू करने का आदेश दिया है। राजपक्षे किसी अज्ञात स्थान से अपना ऑफिस संचालित कर रहे हैं।

पीएम के आवास में आग लगाने के तीन आरोपी गिरफ्तार

शनिवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के निजी आवास में घुसकर तोड़फोड़ व आग लगाने वाली भीड़ में शामिल तीन लोगों को चिंहित कर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस तीनों से पूछताछ कर रही है।

सशस्त्र सेनाओं के समर्थन की अपील

जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने श्रीलंकाई लोगों से सशस्त्र बलों और पुलिस का समर्थन करने का अनुरोध किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में शांति बनी रहे क्योंकि प्रदर्शनकारी दो दिनों से कोलंबो में राष्ट्रपति भवन में तोड़फोड़ कर रहे थे। 

राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे की हवेली में लाखों रुपये

प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि उन्हें राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की हवेली के अंदर लाखों रुपये मिले। एक लंकाई दैनिक ने बताया कि बरामद धन सुरक्षा बलों को सौंप दिया गया है। उधर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष या आईएमएफ ने कहा कि वह नकदी की कमी वाले देश में चल रहे घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहा है और उम्मीद है कि आईएमएफ समर्थित कार्यक्रम पर बातचीत को फिर से शुरू करने की अनुमति देने के लिए राजनीतिक संकट जल्द ही हल हो जाएगा।

चार मंत्री दो दिनों में दे चुके हैं इस्तीफा

धम्मिका परेरा ने रविवार को निवेश संवर्धन मंत्री का पद छोड़ दिया। अशांति के बीच पिछले दो दिनों में हरिन फर्नांडो, मानुषा नानायकारा और बंडुला गुणवर्धन के बाद वह कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले चौथे मंत्री हैं।

भारत भी लगातार कर रहा मदद

भारत ने कहा कि वह अपने वर्तमान आर्थिक संकट के माध्यम से श्रीलंका की मदद करने की कोशिश कर रहा है। केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी स्पष्ट किया कि पड़ोसी देश में अशांति के मद्देनजर अब तक कोई शरणार्थी संकट नहीं था।

शनिवार को राष्ट्रपति आवास पर हो गया था कब्जा

इस्तीफे की मांग को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी शनिवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास में घुस गए। इसके बाद राष्ट्रपति को वहां से भागना पड़ा। लगातार गहरा रहे संकट को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने ऑल पार्टी सरकार की पेशकश को स्वीकार करते हुए अपना इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघ के आवास में घुसकर आग लगा दी और वाहनों को भी फूंक दिया। देर रात तक प्रदर्शनकारियों का तांडव जारी रहा। 

राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री पद छोड़ने को राजी 

लगातार विरोध के बाद, राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को सूचित किया था कि वह 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे, जबकि शनिवार को ही प्रधान मंत्री विक्रमसिंघे ने कहा कि जैसे ही सर्वदलीय सरकार सत्ता संभालने के लिए तैयार होगी, वह इस्तीफा दे देंगे। राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद अध्यक्ष कार्यवाहक अध्यक्ष बनेंगे। बाद में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सांसदों के बीच चुनाव कराया जाएगा। राष्ट्रपति राजपक्षे का वर्तमान ठिकाना फिलहाल अज्ञात है। शनिवार को, श्रीलंकाई नौसेना के जहाज पर सूटकेस लोड किए जाने का वीडियो सामने आया। स्थानीय मीडिया का दावा है कि सूटकेस राष्ट्रपति राजपक्षे के थे।

गंभीर संकट से जूझ रहा देश, 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज

22 मिलियन लोगों का देश एक गंभीर विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा है, जिसने ईंधन, भोजन और दवा के आवश्यक आयात को सीमित कर दिया गया है। पिछले सात दशकों में सबसे खराब वित्तीय उथल-पुथल है। कई लोग देश की खराब स्थिति के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मार्च के बाद से बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों ने उनके इस्तीफे की मांग की है। हाल के हफ्तों में असंतोष और बढ़ गया है क्योंकि नकदी की कमी वाले देश ने ईंधन शिपमेंट प्राप्त करना बंद कर दिया है, स्कूलों को बंद करने और आवश्यक सेवाओं के लिए पेट्रोल और डीजल की राशनिंग के लिए मजबूर किया है। उधर, श्रीलंका अपनी खराब वित्तीय स्थिति की वजह से 2026 तक चुकाए जाने वाले 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज में से इस साल की किश्त सात बिलियन अमेरिकी डॉलर को चुकाने में असफल रहा। देश का कुल विदेशी कर्ज करीब 51 अरब डॉलर है।  

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