
कोलंबो। श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने बुधवार को कसम खाई कि वह सरकार गिराने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार गिराने के लिए अलोकतांत्रिक साधनों का इस्तेमाल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद विक्रमसिंघे ने राजधानी कोलंबो में एक बौद्ध मंदिर में प्रार्थना की। इसके बाद न्यूज एजेंसी एएफपी से विक्रमसिंघे ने कहा कि वह हिंसा के आगे नहीं झुकेंगे। प्रदर्शनकारियों के संबंध में उन्होंने कहा, "अगर आप सरकार गिराने की कोशिश करते हैं, राष्ट्रपति कार्यालय और प्रधानमंत्री कार्यालय पर कब्जा करते हैं तो यह लोकतंत्र नहीं है। यह कानून के खिलाफ है।"
प्रदर्शनकारियों से मजबूती से निपटेंगे
विक्रमसिंघे ने प्रदर्शनकारियों को ऐसा अल्पसंख्यक समूह बताया जो देश के अधिकतर लोगों (जो चुपचाप हैं) की आकांक्षाओं को दबा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम कानून के अनुसार उनके साथ मजबूती से निपटेंगे। हम उन्हें राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव करने और मूक बहुमत की आकांक्षाओं को दबाने की अनुमति नहीं देंगे।
विरोध प्रदर्शन के चलते राजपक्षे को देना पड़ा था इस्तीफा
दरअसल, श्रीलंका इस समय अपनी आजादी के बाद के सबसे कठिन आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। श्रीलंका के लोगों ने संकट के लिए पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जिम्मेदार बताया और राजधानी कोलंबो की सड़कों पर उग्र विरोध प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास पर कब्जा कर लिया था, जिसके चलते राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा और सिंगापुर पहुंचने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद श्रीलंका के नए राष्ट्रपति का चुनाव हुआ है। विक्रमसिंघे नए राष्ट्रपति चुने गए हैं, लेकिन प्रदर्शनकारियों को यह मंजूर नहीं है। विक्रमसिंघे को राजपक्षे का करीबी कहा जाता है। हालांकि इस संबंध में विक्रमसिंघे ने कहा, "मैं राजपक्षे का दोस्त नहीं हूं। मैं श्रीलंका के लोगों का दोस्त हूं।"
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श्रीलंका के 8वें राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे
रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के 8वें राष्ट्रपति बने हैं। अभी तक वे कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। इस रेस में उनका मुकाबला पोदुजाना पेरामुना (SLPP) के दुल्लास अलहप्परुमा और जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके से था। श्रीलंका में राष्ट्रपति इलेक्शन के 44 साल के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला हुआ। रानिल को 134 वोट मिले। दुल्लास अलहप्परुमा को 82, जबकि अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ 3 वोट मिले। 223 सांसदों ने वोटिंग की। 2 ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। 4 वोट इनवैलिड हुए। इस तरह 219 वोट वैध रहे।
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