
Tahawwur Rana extradition Timeline: मुंबई के 26/11 आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा अमेरिका से भारत आ चुका है। फिलहाल वो NIA की गिरफ्त में है। भारत आने से बचने के लिए राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन वो खारिज हो गई। राणा ने खुद को पार्किंसन बीमारी से पीड़ित बताते हुए गुहार लगाई थी कि भारत भेजने पर उसे प्रताड़ित किया जाएगा। हालांकि, अमेरिका-भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि के चलते वो 16 साल बाद भारत के चंगुल में फंसा है। जानें 2009 से अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ?
डेविड कोलमैन हेडली की गिरफ्तारी के 9 दिन बाद 18 अक्टूबर, 2009 को तहव्वुर राणा को शिकागो में अरेस्ट किया गया। उस पर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में एक अखबार के दफ्तर पर हमले की साजिश में मदद का आरोप था।
शिकागो की एक फेडरल कोर्ट ने तहव्वुर राणा को लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने का दोषी माना। लेकिन उसे सीधे तौर पर मुंबई के 26/11 हमलों से जुड़े होने के आरोप से बरी कर दिया गया।
2011 में ही तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने आरोप-पत्र दाखिल किया। इसमें उसके खिलाफ हत्या, युद्ध छेड़ने की साजिश और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के चार्ज लगे।
4 दिसंबर, 2019 को भारत ने पहली बार राजनयिक चैनल्स के जरिये तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की डिमांड रखी।
इसके बाद नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 10 जून, 2020 को तहव्वुर राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग की।
2021 में भारत ने ऑफिशियली तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग करते हुए अमेरिकी न्याय विभाग को चिट्ठी भेजी। बाइडेन सरकार ने इसका समर्थन किया।
13 नवंबर 2024 को तहव्वुर राणा ने लोअर कोर्ट के प्रत्यर्पण के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसे 21 जनवरी 2025 को खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा था कि भारत-अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के चलते उसे भारत भेजा जा सकता है।
NIA और खुफिया एजेंसी RAW की एक जॉइंट टीम तहव्वुर राणा को 9 अप्रैल को अमेरिका से लेकर रवाना हुई और 10 अप्रैल को दिल्ली पहुंची।
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