
नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afganistan) पर कब्जे के बाद पाकिस्तान ने दुनियाभर में तालिबान की हिमायत की। पिछले दिनों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान के आर्थिक संकट पर भी ध्यान देने की बात की, लेकिन सीमा पर दोनों देशों में ठनी है। तालिबान ने पाकिस्तान की सेना द्वारा डूरंड रेखा पर लगाए गए बाड़े को तहस-नहस कर दिया है। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें देखा जा सकता है कि तालिबान के सैनिक दक्षिणी अफगानिस्तान की सीमा पर लगे बाड़े को उखाड़ रहे हैं। तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान द्वारा सीमा पर बाड़ लगाना गैरकानूनी है। उसे हमारी सीमा पर बाड़ लगाने का कोई हक नहीं है। तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान को डूरंड रेखा पर बाड़ा लगाकर दोनों तरफ के ट्राइब्स को अलग करने का कोई अधिकार नहीं है।
पाकिस्तान के लोगों ने कहा- अपने काम पर फोकस करें इमरान
तालिबान की इस हरकत पर पाकिस्तान के लोगों ने इमरान सरकार को घेरा है। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने लिखा - 'मिस्टर पीएम, आप अफगानिस्तान से कितना प्यार करते हैं... लेकिन डूरंड लाइन पर क्या हो रहा है इमरान खान?'
पाकिस्तान के पत्रकार मियां मुजीब-उर-रहमान ने ट्वीट किया- 'हम दुनिया के सामने अफगान तालिबान को लेकर आवाज उठा रहे हैं और वो पाकिस्तान की ही जमीन को नुकसान पहुंचा रहे हैं... शर्म की बात है। एक अन्य यूजर ने लिखा- पाकिस्तान की जमीन पर ये क्या हो रहा है। मिस्टर इमरान, आप अपने काम पर फोकस करें।
डूरंड रेखा को तालिबान ने नहीं दी है मान्यता
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ब्रिटिश काल में डूरंड रेखा खींची गई थी। अफगानिस्तान ने इस रेखा को मानने से इनकार कर दिया था। इसी सीमा पर कुछ इलाकों में पाकिस्तान की तरफ से बाड़ लगाई गई है, जिसे तालिबान समय-समय पर उखाड़ फेंकता है। डूरंड रेखा पर दिसंबर में भी तालिबान ने पाकिस्तानी बाड़ उखाड़कर फेंक दी थी।
सालेह ने कहा- ISI खुद कर रही ये काम
उधर, तालिबान द्वारा पाकिस्तान की तरफ से की गई बाड़ाबंदी को उखाड़ने के पीछे पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह का कहना है कि ये पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) का कारनामा है, ताकि अफगानिस्तान के लोग तालिबान की सरकार को अपना सबसे बड़ा हितैषी समझें। सालेह ने ट्वीट किया- कुछ वीडियो में तालिबानियों द्वारा डूरंड लाइन पर पाकिस्तान की तरफ से की गई बाड़ाबंदी को हटाते हुए फिल्माया गया है। यह आईएसआई (ISI)द्वारा तालिबानियों को राष्ट्रीय पहचान की भावना देने का एक प्रयास है। आईएसआई मुल्ला हैबतुल्लाह का काम स्वयं कर रही है, ऐसे में सीमा पर बाड़ाबंदी की जरूरत नहीं है।
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