पोप ने भारतीय नन मरियम थ्रेसिया को माना संत, मन की बात में मोदी ने किया था जिक्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 29 सितम्बर को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सिस्टर मरियम थ्रेसिया का जिक्र किया था और कहा था कि 13 अक्टूबर को पोप फ्रांसिस उन्हें संत घोषित करेंगे जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।

वेटिकन सिटी. पोप फ्रांसिस ने वेटिकन सिटी में एक भव्य समारोह में भारतीय नन मरियम थ्रेसिया और चार अन्य को रविवार को संत घोषित किया। मई 1914 में ‘कॉन्ग्रिगेशन ऑफ द सिस्टर्स ऑफ द होली फैमिली’ (सीएचएफ) की स्थापना करने वाली मरियम थ्रेसिया को सेंट पीटर्स स्क्वायर में एक समारोह के दौरान सदियों पुराने इस संस्थान के सबसे ऊंचे पद का सम्मान दिया गया। 

केरल की नन के साथ ही ब्रिटिश कार्डिनल जॉन हेनरी न्यूमैन, स्विस लेवीमेन मार्गरेट बेज, ब्राजील की सिस्टर डुल्स लोप्स और इतालवी सिस्टर गिसेपिना वानीनि को भी संत की उपाधि से विभूषित किया जाएगा। इस समारोह के दौरान सेंट पीटर्स के बेसिलिका से पांच नये संतों की विशाल तस्वीरें लटकाईं गईं।

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इस समारोह में लाखों लोग शामिल हुए। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने समारोह में भारतीय शिष्टमंडल की अगुवाई की। रविवार के कार्यक्रम के साथ ही केरल के साइरो-मालाबार चर्च के संतों की संख्या अब चार हो गई।

इस 'चमत्‍कार' से मिली संत की उपाधि
होली फैमिली के मुताबिक नौ महीने से पहले जन्‍म लेने वाला एक बच्‍चा जिंदगी और मौत से जूझ रहा था। बच्चे की जान जिस दवा से बच सकती थी वह उस समय हॉस्पिटल में नहीं था। तीसरे दिन बच्‍चा सांस लेने में हांफने लगा। डॉक्‍टरों के होश उड़ गए। किसी को भी बच्चे के बचने की आस नहीं थी। बच्‍चे के माता-पिता सिस्‍टर मरियम के भक्‍त थे।

दादी ने बच्चे के ऊपर एक धार्मिक चिन्‍ह रखकर सिस्‍टर मरियम की प्रार्थना करने को कहा। 20 से 30 मिनट के अंदर ही बच्चा ठीक होने लगा। यह घटना 9 अप्रैल, 2009 की है। इसी दिन सिस्‍टर मरियम को रोम में 'धन्‍य' घोषित किया गया था। 2018 में वेटिकन ने सिस्‍टर मरियम के 'चमत्‍कार' को स्‍वीकार किया और अब उन्‍हें पोप ने 'संत' की उपाधि दी है। बताते चलें कि संत की उपाधि इस तरह के चमत्कार के बाद ही दी जाती है।

कौन थीं मरियम थ्रेसिया
मरियम थ्रेसिया को उनके जीवन के आधे समय तक केवल थ्रेसिया नाम से जाना जाता था। यह नाम उन्हें तीन मई, 1876 को नामकरण संस्कार के दौरान दिया गया। 1904 से वह चाहती थीं कि उन्हें मरियम थ्रेसिया पुकारा जाए क्योंकि उनका मानना था कि एक सपने में ब्लेस्ड वर्जिन मेरी ने उन्हें उनके नाम में “मरियम’’ जोड़ने को कहा था।

उन्हें 1914 में यह नाम दिया गया। चर्च ने उन्हें एक असाधारण पवित्र व्यक्ति घोषित किया।

वेटिकन न्यूज ने कहा, “ईसा मसीह का अनुसरण करते हुए उन्होंने गरीबों की मदद की, बीमार की सेवा की और अकेले पड़े लोगों का दर्द दूर किया। उन्होंने दुनिया के पाप मिटाने के लिए खुद दुख झेला।”

सिस्टर थ्रेसिया का आठ जून, 1926 को 50 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। पोप जॉन पॉल द्वितीय ने नौ अप्रैल, 2000 को उन्हें ‘धन्य’ घोषित किया था।

 

पीएम मोदी ने किया था जिक्र
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 29 सितम्बर को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सिस्टर मरियम थ्रेसिया का जिक्र किया था और कहा था कि 13 अक्टूबर को पोप फ्रांसिस उन्हें संत घोषित करेंगे जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।

प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘‘सिस्टर थ्रेसिया ने 50 साल के अपने छोटे से जीवनकाल में ही मानवता की भलाई के लिए जो कार्य किए, वो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल हैं। सिस्टर थ्रेसिया ने जो भी कार्य किया, उसे निष्ठा और लगन के साथ पूरे समर्पण भाव से पूरा किया।’’

मोदी ने कहा था कि समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र से उनका अद्भुत लगाव था। उन्होंने कई स्कूल, छात्रावास और अनाथालय बनवाए।
 

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