
India-China Trade Relations: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 104 परसेंट टैरिफ लगाकर ग्लोबल टैरिफ वार को शुरू कर दिया है। इस अप्रत्याशित कार्रवाई के बाद जियो-पॉलिटिक्स बदलती नज़र आ रही है। चीन का अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ मिज़ाज थोड़ा नरम पड़ा है। भारत के साथ वह फिर से नजदीकियां बढ़ाने की इशारे करने लगा है। दरअसल, भारत-चीन के संबंधों को सुधारने में वर्षों की कूटनीतिक कोशिशों से जो नहीं हो पाया, वो अब टैरिफ वॉर (Tariff War) के चलते होता दिख रहा है।
पिछले महीने चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) ने कहा था कि ड्रैगन और एलीफेंट को साथ नाचना चाहिए और अब चीनी दूतावास ने भारत से खुलकर साथ खड़े होने की अपील की है।
चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग (Yu Jing) ने X (Twitter) पर लिखा: China-India आर्थिक रिश्ते आपसी फायदे पर आधारित हैं। अमेरिका द्वारा Global South के विकास के अधिकार को छीने जाने की इस नीति का हमें मिलकर विरोध करना चाहिए।
यू जिंग ने सीधे ट्रंप को भी निशाने पर लिया और लिखा कि Trade और Tariff Wars का कोई विजेता नहीं होता। सभी देशों को मिलकर Protectionism और Unilateralism का विरोध करना चाहिए।
चीन ने अपनी आर्थिक ताकत बताते हुए अमेरिका को आइना दिखाया है। ड्रैगन ने बताया कि वह दुनिया की सालाना ग्रोथ में 30% योगदान देता है और मल्टीलेटरल ट्रेड सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
हालांकि, भारत सरकार ने इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा कि भारत-चीन संबंध सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं। वहीं, चीनी राष्ट्रपति Xi Jinping ने भी 1 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से बातचीत में भारत-चीन सहयोग की बात की थी।
जहां चीन को 104% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, वहीं भारत पर अमेरिका की नजर अभी कुछ नरम है। ट्रंप ने भारत को very big abuser of tariffs बताया है लेकिन भारत पर 26% की छूट टैरिफ लगाई गई है। हालांकि स्टील, फार्मा, ऑटो पार्ट्स और सीफूड सेक्टर इस नई नीति से प्रभावित होंगे। भारत ने चीन की तरह किसी भी retaliatory टैरिफ का ऐलान नहीं किया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इससे भारत के US एक्सपोर्ट में $5.76 बिलियन तक की गिरावट आ सकती है।
गलवान घाटी (Galwan Valley) में जून 2020 की हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव चरम पर था। लेकिन 2024 में एक पेट्रोलिंग डील और PM मोदी–Xi Jinping की मुलाकात के बाद माहौल थोड़ा बदला। अब अमेरिका के टैरिफ दबाव के कारण यह संधि आर्थिक सहयोग में बदलती दिख रही है।
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