ट्रम्प ने 30 दिन में तीसरी बार की कश्मीर पर मध्यस्थता की बात, इसके पीछे क्या ये हैं 3 बड़ी वजहें

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को एक बार फिर कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की। यह 30 दिन में तीसरा मौका है, जब ट्रम्प ने इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने में दिलचस्पी दिखाई हो।

नई दिल्ली. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को एक बार फिर कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की। यह 30 दिन में तीसरा मौका है, जब ट्रम्प ने इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने में दिलचस्पी दिखाई हो। इससे पहले वे जुलाई में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के दौरान और 2 अगस्त को भी इस मुद्दे पर मध्यस्थता करने की बात कर चुके हैं।

ट्रम्प ने कब क्या कहा?

Latest Videos

22 जुलाई: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पिछले दिनों अमेरिका के दौरे पर गए थे। 22 जुलाई को सांझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए कहा है।

2 अगस्त: ट्रम्प ने मध्यस्थता की गेंद भारत के पाले में फेंक दी। ट्रम्प ने कहा, मध्यस्थता का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है। अगर भारत-पाक चाहेंगे तो मैं इस मुद्दे पर जरूर हस्तक्षेप करूंगा। मुझे लगता है कि वे (मोदी और इमरान) बेहतरीन लोग हैं। मुझे लगता है साथ में भी दोनों बेहतरीन काम करेंगे। 

20 अगस्त: ट्रम्प ने कश्मीर को जटिल समस्या बताया। उन्होंने कहा कि इस समस्या का संबंध धर्म से भी है। यहां हिंदू हैं और मुस्लिम भी। मुझे नहीं लगता कि दोनों समुदाय अच्छे से साथ रह पाते होंगे। दोनों देशों के बीच बहुत सारी परेशानियां हैं। यह दशकों से चल रही हैं। इसे सुलझाने के लिए मैं मध्यस्थता कर सकता हूं या फिर कुछ और अच्छा।

भारत अपने रुख पर कायम
भारतीय विदेश मंत्रालय ने 22 जुलाई के ट्रम्प के बयान को कुछ घंटों बाद ही खारिज कर दिया था। भारत ने साफ कर दिया था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इस पर भारत अपने रुख पर कायम है। साथ ही पाकिस्तान के साथ किसी भी मुद्दे पर तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान के साथ सारे मसले द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही हल किए जाएंगे।

ट्रम्प ने मोदी-इमरान से फोन पर बातचीत की
- ट्रम्प ने रविवार को प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं के बीच चली 30 मिनट की बातचीत मे  द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। मोदी ने ट्रम्प से कहा कि सीमा पार आतंकवाद को रोकना और आतंक व हिंसा से मुक्त माहौल बनाना क्षेत्र के लिए जरूरी है। मोदी ने पाकिस्तान और इमरान का नाम लिए बिना कहा था कि कुछ नेताओं द्वारा भारत के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी क्षेत्रीय शांति के लिए लाभकारी नहीं है।

- मोदी के बाद ट्रम्प ने पाक प्रधानमंत्री इमरान खान से भी बातचीत की। उन्होंने इमरान से कहा कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ तीखी बयानबाजी से बचना चाहिए। साथ ही उन्होंने भारत के साथ कश्मीर मुद्दे पर तनाव कम करने के लिए भी कहा था। 

ट्रम्प की पेशकश की ये हैं तीन वजह

1- अफगानिस्तान में तालिबान से वार्ता में पाकिस्तान की अहम भूमिका
अमेरिका अफगानिस्तान में करीब 2 दशकों से चल रही जंग का खात्मा चाहता है। साल 2001 से चल रही इस जंग के बाद अब अमेरिका अपने हजारों सैनिकों की वापसी के लिए हर संभव कोशिश में जुटा है। ऐसे में अमेरिका तालिबान को शरण और मदद देने वाले पाकिस्तान का साथ चाहता है। अमेरिका का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद बढ़ता है तो अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने में भी अड़चन पैदा हो सकती हैं। तालिबान के साथ अमेरिका की शांति वार्ता शुरू हो चुकी है। इसमें पाकिस्तान भी अहम भूमिका में है। हाल ही में इमरान खान ने अमेरिका को भरोसा दिलाया था कि वे तालिबान के नेताओं से मुलाकात कर शांति प्रक्रिया को तेज करेंगे।

2- कश्मीर पर पाकिस्तान का अमेरिका से मदद मांगना
कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले के बाद से इमरान खान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगा रहे हैं। वे अमेरिका और चीन से भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने के लिए कह चुके हैं। पाकिस्तान ने हाल ही में इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में भी उठाया था। हालांकि, वहां रूस, ब्रिटेन समेत कई देशों के भारत को समर्थन के बाद पाकिस्तान अकेला पड़ गया। आधिकारिक तौर पर अमेरिका ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। अमेरिका पिछले 70 साल से पाकिस्तान में आर्थिक, ऊर्जा, शिक्षा और विकास संबंधी कई प्रोजेक्ट चला रहा है। ऐसे में हो सकता हो कि इमरान को दिलासा देने के लिए इस तरह से अनौपचारिक तौर पर बार-बार बयान दे रहे हों।

3- पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति
पाकिस्तान ने हाल ही में कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ व्यापारिक हितों के चलते कश्मीर पर कोई कदम नहीं उठा रहे। भले ही अमेरिका भी भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों के चलते पाकिस्तान का सीधे तौर पर साथ ना दे रहा हो, इसके बावजूद भी वह पाकिस्तान को पूरी तरह दर किनार नहीं कर सकता। इसकी मुख्य वजह पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति भी है। पाकिस्तान जहां अफगानिस्तान के साथ शांतिवार्ता में अमेरिका के लिए अहम भूमिका निभा रहा है। दूसरी ओर पाकिस्तान की सीमा चीन और ईरान से भी लगी है। दोनों देशों के साथ अमेरिका के रिश्ते लंबे वक्त से खराब हैं। ऐसे में भविष्य में भी पाकिस्तान अमेरिका के लिए अहम भूमिका निभाएगा। 

Share this article
click me!

Latest Videos

'स्टार कैंपेनर का स्वागत है' झारखंड चुनाव में जीत के बाद हेमंत सोरेन का जोश हाई, शेयर की फोटोज
Sishamau By Election Result: जीत गईं Naseem Solanki, BJP के Suresh Awashthi ने बताई हार की वजह
महाराष्ट्र चुनाव 2024: महाविकास आघाडी की बुरी हार की 10 सबसे बड़ी वजह
Jharkhand Election Exit Poll: कौन सी हैं वो 59 सीट जहां JMM ने किया जीत का दावा, निकाली पूरी लिस्ट
Maharashtra Jharkhand Election Result: रुझानों के साथ ही छनने लगी जलेबी, दिखी जश्न पूरी तैयारी