यूक्रेन-रूस विवाद: भारतीय स्टूडेंट्स की हेल्प के लिए दूतावास और मंत्रालय में बनाए जा रहे कंट्रोल रूम

यूक्रेन-रूस विवाद (Russia-Ukraine Conflict) के बीच युद्ध की आशंका के चलते भारतीय नागरिक खासकर; स्टूडेंट्स परेशान हैं। यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स की मदद के लिए वहां मौजूद दूतावास(Embassy) और विदेश मंत्रालय(MEA) में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 16, 2022 9:36 AM IST / Updated: Feb 16 2022, 03:16 PM IST

नई दिल्ली. यूक्रेन-रूस विवाद (Russia-Ukraine Conflict) के बीच युद्ध की आशंका के चलते भारतीय नागरिक खासकर; स्टूडेंट्स परेशान हैं। यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स की मदद के लिए वहां मौजूद दूतावास(Embassy) और विदेश मंत्रालय(MEA) में कंट्रोल रूम बनाए गए हैं। 15 फरवरी को ही विदेश मंत्रालय ने एक एडवाजरी जारी की थी। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने आशंका जताई थी कि रूस आक्रमण कर सकता है। इसे देखते हुए यूक्रेन की राजधानी कीव (Kyiv) स्थित भारतीय दूतावास(Embassy) ने भारतीय छात्रों को यहां से चले जाने को कहा है। दूतावास के सूत्रों के अनुसार, दूतावास घटनाक्रम पर पैनी नजर रखे हुए है। भारत के लिए उड़ानों को लेकर छात्रों के पैरेंट्स परेशान हैं। बताया जाता है कि यूक्रेन से भारत के लिए उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए नागरिक उड्डयन प्राधिकरणों(civil aviation authorities) और विभिन्न एयर लाइंस से बातचीत जारी है। वहीं, यूक्रेन में भारतीय नागरिकों और भारत में उनके परिवारों के सवालों का जवाब देने दूतावास के साथ-साथ विदेश मंत्रालय में कंट्रोल रूम स्थापित किए जा रहे हैं।

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कई देशों ने अपने नागरिकों को यूक्रेन छोड़ने को कहा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन(Joe Biden) युद्ध की आशंका के मद्दनेजर अमेरिकियों को यूक्रेन छोड़ने की सलाह पहले ही दे चुके थे और अब यूक्रेन से दूतावास(embassy) भी खाली किए जा रहे हैं। यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के लिए करीब एक दर्जन देशों ने आह्वान किया है। यूक्रेन छोड़ने का आह्वान करने वालों में संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, आयरलैंड, बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, कनाडा, नॉर्वे, एस्टोनिया, लिथुआनिया, बुल्गारिया, स्लोवेनिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इज़राइल, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। 

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यह है विवाद की मुख्य वजह
रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं था। उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।

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यूक्रेन में 20000 से अधिक स्टूडेंट्स
यूक्रेन में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने गए करीब 20000 स्टूडेंट्स मौजूद हैं। इनमें से अधिकतर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पंजाब और राजस्थान के छात्र हैं। इन छात्रों को वापस भारत लाने के लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रपति सचिवालय में एक याचिका भी लगाई गई है।

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