
Ukraine Russia war: आखिरकार तीन साल से युद्ध में जी रहे रूस और यूक्रेन शांति बहाली की ओर बढ़ना शुरू कर दिए हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने संकेत दिया है कि यदि आवश्यक हुआ तो वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब सऊदी अरब (Saudi Arabia) में रूस और अमेरिका (Russia-US) के टॉप डिप्लोमैट्स की मीटिंग हो रही है। इस मीटिंग का उद्देश्य यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) को समाप्त करने का समाधान खोजना है।
रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए सऊदी अरब में हो रही रूस व अमेरिका की मीटिंग में एक महत्वपूर्ण पक्ष गायब है। इस मीटिंग में यूक्रेन को शामिल ही नहीं किया गया है। केवल दोनों महाशक्तियां इस युद्ध को खत्म करने का समाधान खोजने के लिए मीटिंग कर रहीं। हालांकि, इस रवैया पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने नाराजगी जतायी है। उन्होंने कहा कि हमारे बारे में कोई भी समझौता हमारे बिना नहीं हो सकता।
ज़ेलेंस्की भी सऊदी अरब का दौरा करेंगे लेकिन उनकी यह यात्रा अमेरिका-रूस बैठक के अगले दिन होगी। उनके प्रवक्ता सेरही नायकिफ़ोरोव (Sergiy Nykyforov) ने स्पष्ट किया है कि इस यात्रा के दौरान ज़ेलेंस्की न तो रूस और न ही अमेरिका के किसी अधिकारी से मुलाकात करेंगे। यह एक पहले से तय आधिकारिक यात्रा है, जिसके तहत वे संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और तुर्की (Turkey) भी जाएंगे।
यूरोपीय देश और NATO सहयोगी इस बैठक को लेकर चिंतित हैं। उनका मानना है कि वाशिंगटन ने अचानक रूस को लेकर अपनी रणनीति में बदलाव किया है। इस बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा यह भी होगा कि क्या डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और व्लादिमीर पुतिन के बीच भविष्य में एक शिखर बैठक (Summit) हो सकती है जिससे अमेरिका और रूस के बीच संबंधों को पटरी पर लाया जा सके।
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को तीन साल हो चुके हैं। इस संघर्ष ने असंख्य जानें ली हैं, भारी तबाही मचाई है और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर डाला है। डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस युद्ध के समाधान की वकालत कर रहे हैं और इसे जल्द से जल्द खत्म करने की आवश्यकता पर ज़ोर दे रहे हैं।
रूस भी अब इस युद्ध के समाधान की संभावना तलाश रहा है क्योंकि युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों (Western Sanctions) के चलते उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, मॉस्को ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस वार्ता में यूरोपीय देशों और NATO की कोई भूमिका नहीं चाहता। रूस का आरोप है कि यूरोप और NATO इस युद्ध को जारी रखना चाहते हैं।
रूस ने कई बार NATO के बढ़ते प्रभाव की आलोचना की है। युद्ध शुरू होने से पहले मॉस्को ने मांग की थी कि NATO को अपने सैनिकों, सैन्य उपकरणों और ठिकानों को उन पूर्वी यूरोपीय देशों से हटाना चाहिए, जो शीत युद्ध (Cold War) के दौरान सोवियत संघ (Soviet Union) के प्रभाव में थे।
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