रूसी मिसाइलों से तबाह हुआ यूक्रेन के मिकोलीव का एयरपोर्ट, जापान ने कड़े प्रतिबंधों काे दी मंजूरी

24 फरवरी से यूक्रेन पर जारी रूसी हमलों ने शहर के शहर तबाह कर दिए हैं। राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि मारियुपोल में ही 10 हजार लोगों की मौत हुई। बुचा नरसंहार भी रूस के अमानवीय कृत्य को दर्शा रहा है। 

कीव। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि मारियुपोल में अब तक करीब 10 हजार लोग मारे जा चुके हैं। अब तक 186 बच्चों की मौत हुई है। जेलेंस्की ने कहा कि रूस में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की चर्चा हो चुकी है। इस बीच जापान ने भी रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मंजूरी दे दी है। जापान ने रूस के 28 संगठन और 300 से ज्यादा लोगों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। 

मारियुपोल में 10 हजार लोगों की मौत



मंगलवार को यूक्रेन के शहर मिकोलीव में रूस ने ताबड़तोड़ गोलीबारी की। इसमें मिकोलीव एयरपोर्ट पूरी तरह तबाह हो गया। रूस अब तक यूक्रेन के खारकीव, बुचा, मारियुपोल समेत तमाम शहरों को तबाह कर चुका है। मंगलवार को दक्षिण कोरिया की संसद को एक वीडियो संबोधन में जेलेंस्की ने कहा कि मारियुपोल में 10 हजार लोग मारे गए। उन्होंने सांसदों से सैन्य सहायता देने की अपील की। इस बीच सोमवार को लिथुआनियाई प्रधानमंत्री ने यूक्रेन के तबाह बोरोडिएंका का दौरा किया। उन्होंने कीव के पास युद्धग्रस्त यूक्रेनी शहर बोरोडियनका के हालात देखे। यहां रेस्क्यू टीम को रूस कब्जे के बाद मलबे के नीचे और शव मिले।

बुचा नरसंहार के बाद बर्बादी के निशान 



यह फोटो बुचा स्थित अपने घर के आंगन में अपनी मां की कब्र के पास खड़ा 6 साल के व्लाद का है। पिछले महीने नरसंहार के दौरान उसके परिवार को बेसमेंट में शरण के लिए मजबूर किया गया। इसी दौरान उसकी मां की मौत हो गई। परिवार को ये भी नहीं पता कि व्लाद की मां की मौत किस बीमारी से हुई। मां की मौत से बुरी तरह टूट चुका व्लाद अब दोस्तों के साथ कभी-कभी खेलने निकलता है। व्लाद उस बेसमेंट में भी जाता है, जहां बुचा नरसंहार के दौरान उसका परिवार छिपा था।

खाने के लिए घंटों करते हैं इंतजार
बुचा में हुए नरसंहार के बाद हजारों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो चुकी है। सैकड़ों बच्चे ऐसे हैं, जिनके सिर से मां या पिता का साया उठ गया है। रूस के इस अमानवीय कृत्य में 16 बच्चों की भी जान गई है। बिजली, पानी, इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मिसाइलों और गोला- बारूद के हमलों में नष्ट हो गई हैं। यहां तक कि खाने के लिए भी लोगों के पास कोई इंतजाम नहीं हैं। सरकार या फिर दानदाताओं की तरफ से लगाए जाने वाले स्टाॅल्स पर लोग निर्भर हैं। सैनिकों के बक्सों में मासूमों के खिलौने दिख रहे हैं। 

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