
UNHCR Warn Pakistan Afghan Refugees: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने पाकिस्तान से कमजोर अफगान शरणार्थियों के निर्वासन पर रोक लगाने की अपील की है, खास तौर पर महिलाओं, लड़कियों और बीमार व्यक्तियों के जबरन वापसी पर रोक लगाने को लेकर जोर दिया है। ऐसा इसीलिए क्योंकि ये उनके मौलिक मानवाधिकारों का हनन है। इस बात की जानकारी खामा प्रेस के जरिए दी घई है। अस्थायी निवास परमिट वाले अफगानियों को निर्वासित करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने गंभीर चिंता जताई है।
खामा प्रेस के मुताबिक एजेंसी ने इस बात पर सबसे ज्यादा जोर दिया है कि अगर अफगान महिलाओं और लड़कियों को तालिबान-शासित अफगानिस्तान की तरफ वापस भेजा गया तो उनके मानवाधिकार का हनन हो सकता है। इसके अलावा UNHCR की तरफ से छात्रों और बीमार लोगों को निर्वासन योजना में छूट देने की भी अपील की है। साथ ही उन्हें लगातार सहयोग देने की भी बात कही है। एजेंसी ने इस बात को लेकर खुशी जताई है कि पाकिस्तान ने निर्वासन से पहले एक महीने की मोहलत उन्हें दी है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि सरकार को इस समय का सही इस्तेमाल करना चाहिए। ताकि हर एक मामले की गहराई से जांच की जा सकें।
खामा प्रेस के मुताबिक यूएन आंकड़ों के मुताबिक 2025 में अबतक 21 लाख से ज्यादा अफगान नागरिकों को उनकी इच्छा या फिर जबरदस्ती अफगानिस्तान से लौटने पर मजबूर किया गया है, जिनमें से कम से कम 3.52 लाख लोग पाकिस्तान से निकाले गए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान अधिकारियों की तरफ से इस बात को भी साफ किया गया है कि 1 सितंबर 2025 से उन अफगान नागरिकों को निष्कासित किया जाएगा, जिनके पास अवैध या अस्थायी दस्तावेज़ हैं। आपकी जानकारी के लिए बात दें कि अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। इस बात पर यूएनएचसीआर ने भी जोर देने का काम किया है।
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