India-China Border Dispute पर अमेरिका की है नजर, कहा- सहयोगियों के साथ खड़े रहेंगे

भारत और चीन के बीच एलएसी पर चल रही तनातनी को लेकर अमेरिका ने कहा है कि वह इस पर नजर रखे हुए है। अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद पर अमेरिका की करीबी नजर है।

वाशिंगटन। भारत और चीन के बीच एलएसी (LAC) पर चल रही तनातनी को लेकर अमेरिका (America) ने कहा है कि वह इसपर नजर रखे हुए है। अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस (White House) की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद (India China Border Dispute) पर अमेरिका की करीबी नजर है। 

जेन साकी ने कहा कि चीन द्वारा पड़ोसियों को डराने-धमकाने से अमेरिका चिंतित है। हम स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए हैं। हम सीमा विवाद के हल के लिए आपसी बातचीत और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते रहेंगे। हम बहुत स्पष्ट हैं कि हम दुनिया भर के क्षेत्र में बीजिंग के व्यवहार को कैसे देखते हैं। हम चीन द्वारा अपने पड़ोसियों को डराने-धमकाने के प्रयास से चिंतित हैं। यह अस्थिर करने वाला हो सकता है। ऐसी स्थिति में हम अपने सहयोगियों के साथ खड़े रहेंगे।

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अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने पिछले महीने चार अमेरिकी आयोगों के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (यूएससीआईआरएफ) आयुक्तों पर प्रतिबंध लगाए, जिन आयुक्तों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें अध्यक्ष नादिन मेंजा, उपाध्यक्ष नुरी तुर्केल, आयुक्त अनुरीमा भार्गव और जेम्स डब्ल्यू कैर शामिल हैं। यह सार्वभौमिक अधिकारों के खिलाफ चीन द्वारा किया गया एक और अपमान है। अमेरिका दुनिया भर में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए सभी राजनयिक और आर्थिक साधनों का उपयोग करना जारी रखेगा।

12 को भारत-चीन के कोर कमांडर करेंगे बात
अमेरिका फिर से चीन से अंतरराष्ट्रीय दमन के अपने कृत्यों को रोकने के लिए कहता है, जिसमें अमेरिकी लोगों की सेवा करने वाले व्यक्तियों सहित उइगर अमेरिकी कार्यकर्ताओं के परिवार के सदस्यों को कैद करने और आंदोलन की स्वतंत्रता से इनकार करने की जबरदस्त प्रथाएं शामिल हैं। ये अधिनियम अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को कमजोर करते हैं।

बता दें कि भारत चीन सीमा विवाद पर अमेरिका का यह बयान 12 जनवरी को दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच होने वाली बैठक से पहले आया है। पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी के मुद्दे  पर तीन महीने के अंतराल के बाद कोर कमांडर स्तर की वार्ता होने वाली है।

 

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