
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के दक्षिणी कैलिफोर्निया में गुरुवार रात करीब 12:30 बजे एक F-16 फाइटर जेट ट्रेनिंग के दौरान क्रैश हो गया। विमान ट्रॉना शहर के रेगिस्तान में जमीन से केवल तीन किलोमीटर दूर गिरा। हालांकि हादसे से कुछ सेकेंड पहले पायलट इमरजेंसी इजेक्शन सीट और पैराशूट की मदद से सुरक्षित बाहर निकल गया, जिससे उसकी जान बच गई।
हादसे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, 6 थंडरबर्ड्स जेट्स ट्रेनिंग के लिए उड़े थे, लेकिन सिर्फ 5 ही वापस लौटे। F-16 हादसा चाइना लेक नेवल एयर वेपन्स स्टेशन के पास हुआ, जो मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होता है। सोशल मीडिया पर वीडियो में देखा गया कि विमान तेजी से गिरते हुए जमीन से टकराते ही आग और काला धुआं उठता है, और पायलट पैराशूट से सुरक्षित उतरा।
अभी तक अधिकारियों ने क्रैश का साफ कारण नहीं बताया है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। F-16 फाइटर जेट की ट्रेनिंग और स्टंट उड़ानें बेहद जोखिम भरी होती हैं। तेज़ स्पीड और अचानक मोड़ के दौरान पायलट के निर्णय की गलती, पुराने विमान की खराबी या इंजीनियरिंग इश्यूज हादसे का कारण बन सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि F-16 का इंजन कभी-कभी अचानक फेल हो जाता है। ऐसे समय में पायलट के पास केवल कुछ सेकेंड रहते हैं। इसी वजह से पायलट की सुरक्षा के लिए F-16 में कई हाईटेक फीचर्स जैसे फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम, इजेक्शन सीट, अलर्ट सिस्टम और मजबूत एयरफ्रेम लगाए गए हैं।
इस घटना में पायलट बच गया, लेकिन 32 साल के इतिहास में F-16 लगभग 750 बार क्रैश हो चुका है। कई बार पायलटों की जान चली गई। उदाहरण के लिए, 2025 में पोलैंड में हुए F-16 क्रैश में पायलट की मौत हो गई थी। 2015 में स्पेन में क्रैश में दो पायलट और जमीन पर मौजूद लोगों की जान गई। हालांकि, नए मॉडल में इमरजेंसी फ्यूल डंप सिस्टम और ऑटोमैटिक आग बुझाने की तकनीक मौजूद है। इससे हादसे के बावजूद जान बचाने की संभावना बढ़ जाती है।
F-16 को फाइटिंग फाल्कन कहा जाता है। इसकी लंबाई 14.8 मीटर, विंग की लंबाई 9.8 मीटर और वजन 9,936 किलो है। यह 2,400 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ सकता है और 4,200 किलोमीटर तक का रेंज है। यह जेट एयर-टू-एयर इंटरसेप्शन, बॉम्बिंग और स्काउटिंग में माहिर है।
F-16 की प्रमुख विशेषताएं:
ये सभी फीचर्स पायलट की सुरक्षा के लिए डिजाइन किए गए हैं।
F-16 Fighting Falcon की कीमत लगभग 18.8 मिलियन डॉलर (करीब 1.7 हजार करोड़ रुपए) है। यह जेट थंडरबर्ड्स स्क्वाड्रन का हिस्सा है और एयर शो व स्टंट्स के लिए दुनिया भर में मशहूर है। F-16 में फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम, इमरजेंसी इजेक्शन सीट, अलर्ट सिस्टम, HUD और नाइट विजन जैसे हाईटेक सुरक्षा फीचर्स हैं। इन फीचर्स ने इस हादसे में पायलट की जान बचाई।
F-16 ने पहली उड़ान 2 फरवरी 1974 को भरी थी। अब तक 4,600+ जेट्स बनाए जा चुके हैं। यह विमान 25+ देशों में इस्तेमाल होता है और इंटरसेप्शन, बॉम्बिंग और स्काउटिंग में माहिर है। 32 साल में लगभग 750 F-16 क्रैश हो चुके हैं, लेकिन ट्रेनिंग और स्टंट उड़ान में हादसे अधिक होते हैं।
अमेरिका ने साल 2000 से भारत को F-16 जेट्स बेचने की कोशिश की, लेकिन भारत ने इसे लेने से मना किया। इसका मुख्य कारण पाकिस्तान में F-16 की मौजूदगी है। भारत ने सुरक्षा और रणनीतिक कारणों से इसे खरीदने से इंकार किया।
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