अमेरिकी सांसदों ने भारतीय प्रतिनिधि को लिखा पत्र, पेकन पर टैक्स कम करवाने की मांग

Published : Oct 26, 2019, 06:22 PM IST
अमेरिकी सांसदों ने भारतीय प्रतिनिधि को लिखा पत्र, पेकन पर टैक्स कम करवाने की मांग

सार

अमेरिका के 34 सासंदों ने भारत से आयात होने वाले एक प्रकार के अखरोट जैसे सूखे मेवे ‘पेकन’ पर भारत से शुल्क कम करवाने के लिए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर को पत्र लिखा है।

वाशिंगटन. अमेरिका के 34 सासंदों ने भारत से आयात होने वाले एक प्रकार के अखरोट जैसे सूखे मेवे ‘पेकन’ पर भारत से शुल्क कम करवाने के लिए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर को पत्र लिखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत " जोर - शोर " से चल रही है। उन्होंने बातचीत जल्द पूरी होने की उम्मीद जताई।

भारत और अमेरिका के बीच चल रहा व्यापारिक तनाव 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार मोर्चे पर तनाव चल रहा है। ट्रंप ने कहा था कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगाता है यह स्थिति "ज्यादा दिन नहीं चल सकती है।’’ ट्रंप सरकार ने जून में व्यापार में सामान्य तरजीही प्रणाली के तहत भारत का लाभार्थी विकासशील देश के रूप में दर्जा समाप्त कर दिया था।

फिलहाल 36 प्रतिशत टैक्स लगाता है भारत  
सांसद ऑस्टिन स्कॉट की अगुवाई में सांसदों ने 24 अक्टूबर को लिखे पत्र में कहा कि भारत में मध्यम वर्ग तेजी से बढ़ रहा है और उसने कृषि उत्पादों में अपनी रुचि दिखाई है। भारतीय बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक है। उन्होंने पत्र में कहा , "दुर्भाग्य से भारत पेकन के आयात पर मौजूदा समय में ऊंचा शुल्क (36 प्रतिशत) लगाता है। इससे अमेरिकी उत्पादों के लिए इस बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।"

सांसदों ने कहा , " जैसा कि आप व्यापार समझौते पर पहुंचने और भारत का जीएसपी (व्यापार में सामान्य तरजीही व्यवस्था) दर्जा बहाल करने को लेकर बातचीत कर रहे हैं। ऐसे में आपको अमेरिकी कृषि उत्पादों विशेषकर पेकन के निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करने पर जोर देना चाहिए। " उन्होंने कहा कि पेकन पर शुल्क कम करने से मध्यमवर्ग के भारतीय इन्हें आसानी से खरीद सकेंगे और यह अमेरिका के ग्रामीण हिस्सों को आर्थिक रूप से प्रोत्साहित करेगा।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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