अमेरिका का रुख़ साफ़ है कि राणा की याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए और उसे खारिज कर देना चाहिए, यूएस सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया।
न्यूयॉर्क: मुंबई आतंकी हमले के आरोपी और पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यापारी तहव्वुर राणा को भारत को सौंपने के खिलाफ याचिका पर अमेरिकी सरकार ने अपना पक्ष रखा है. अमेरिकी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से तहव्वुर राणा द्वारा भारत को सौंपे जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया है. यूएस सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रेलॉगर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अमेरिका का रुख़ साफ़ है कि राणा की याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए और उसे खारिज कर देना चाहिए।
अमेरिका और भारत के बीच हुए अपराधी प्रत्यर्पण समझौते के तहत राणा को सौंपे जाने का कोर्ट ने 15 अगस्त को फैसला सुनाया था. कोर्ट ने उस वक्त यह कहते हुए फैसला सुनाया था कि भारत ने मुंबई आतंकी हमले में राणा की संलिप्तता के स्पष्ट सबूत दिए हैं. इस फैसले के बाद प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही थी कि राणा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. राणा ने मुख्य रूप से यह मांग की है कि उसे भारत को न सौंपा जाए. 13 नवंबर को तहव्वुर राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 'रिट ऑफ सर्टिओरारी' के लिए याचिका दायर की थी. लेकिन 16 दिसंबर को यूएस सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रेलॉगर ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि इस याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए. यूएस सॉलिसिटर जनरल ने मांग की है कि 'रिट ऑफ सर्टिओरारी के लिए राणा की याचिका खारिज की जानी चाहिए।'
26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमले में 6 अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए थे. इस मामले में साजिश रचने के आरोप में 2009 में अमेरिका में गिरफ्तार हुए राणा को 14 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी और वह फिलहाल लॉस एंजिल्स की जेल में बंद है. भारत ने पाया है कि राणा ने अपने दोस्त और अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली के साथ मिलकर पाकिस्तानी आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-मुजाहिदीन के लिए मुंबई आतंकी हमले की साजिश रची थी।