श्रीलंका में हिंसा Update: राष्ट्रपति गोटाबाया फरार, पीएम रानिलसिंघे भी देंगे इस्तीफा, अब ऑल पार्टी सरकार

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। आंदोलनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के सरकारी आवास पर हमला किया है। राजपक्षे के देश छोड़कर भागने की अटकलें हैं।

Amitabh Budholiya | Published : Jul 9, 2022 9:04 AM IST / Updated: Jul 11 2022, 05:47 AM IST

कोलंबो. श्रीलंका में फिर हिंसा भड़क उठी है। भयंकर आर्थिक संकट से जूझ रहे देश में जारी प्रदर्शन के बीच आंदोलनकारी फिर से हिंसा पर उतर आए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) के सरकारी आवास पर हमला करके उसे अपने कब्जे में ले लिया है। राजपक्षे के देश छोड़कर भागने की खबरें हैं। श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ लंबे समय ये 'Gota Go Gama' और 'Gota Go Home' आंदोलन चल रहा है। सिंहली भाषा में गामा यानी गांव कहलाता है। प्रदर्शनकारियों ने एक जगह जमा होकर तंबू गाड़ रखा है। यहां प्रदशर्नकारी एक साथ गाड़ियों के हॉर्न बजाकर राष्ट्रपति और सरकार के खिलाफ गोटा-गो-गामा का नारा लगाते देखे जा सकते हैं।

रानिलसिंघे ने इस्तीफा की इच्छा जताई

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श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री विक्रम रानिल सिंघे ने देश में बिगड़े माहौल के बीच इस्तीफा देने की इच्छा जताई है। रानिलसिंघे ने कहा कि देश में इस माहौल में नागरिकों की सुरक्षा और देशहित में सभी दलों के नेताओं ने ऑल पार्टी गवर्नमेंट बनाने का सुझाव दिया है। इसको लागू करने के लिए मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दूंगा। 

बेकाबू होते हालात, बेहद खराब हो चुकी आर्थिक व्यवस्था को सुधारने में नाकाम रही सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। बीते दिनों लोगों के गुस्से को देखते हुए श्रीलंका के पूरे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ा था। इसी के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को भी पद छोड़ना पड़ा था।  

कमर तोड़ महंगाई से लोग परेशान

दरअसल, महंगाई ने श्रीलंका की हालत पतली कर दी है। देशभर में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होते आ रहे हैं। 1948 में ब्रिटेन से आजाद हुआ श्रीलंका इतिहास की सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। श्रीलंका में बुनियादी जरूरतों जैसे-गैस, बिजली, दवा और भोजन की बेहद कमी या आपूर्ति न होने से लोग बुरी हालत में हैं।

अफरा-तफरी का माहौल

श्रीलंका में अफरा-तफरी का माहौल है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोलंबो (Colombo Protest) में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प की भी खबरें हैं। इसमें पुलिसकर्मियों समेत कई लोग जख्मी हुए हैं। पुलिस के साथ झड़प में 100 से ज्यादा लोग घायल होने की खबर है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया। गाले क्रिकेट स्टेडियम में भी उपद्रव हुआ। यहां ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका का मैच चल रहा है। इस प्रदर्शन में पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या भी शामिल देखे गए। श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की भारी कमी के चलते सरकार ईंधन सहित आवश्यक आयात के लिए भुगतान करने में फेल है। करीब 22 मिलियन लोगों का यह द्वीप पहली बार इतने बुरे आर्थिक संकट में घिरा है। 

हाई सिक्योरिटी को तोड़कर राष्ट्रपति भवन में घुसे प्रदर्शनकारी

राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे सैकड़ों श्रीलंकाई प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को कोलंबो के हाई सिक्योरिटी वाले किले में उनके सरकारी आवास पर बैरिकेड्स तोड़ने के बाद धावा बोल दिया। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे को लेकर पिछले मार्च से आंदोलनकारी प्रदर्शन कर रहे हैं। लिहाजा राजपक्षे राष्ट्रपति भवन को  ही अपने आवास और कार्यालय के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे। प्रदर्शनकारी अप्रैल की शुरुआत में भी उनके कार्यालय के गेट तक कब्जा करने की नीयत से पहुंच गए थे। हालांकि सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति को शुक्रवार को सदन से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि शनिवार के विरोध प्रदर्शन की तैयारी सामने दिखाई देने लगी थी।

इस बीच प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने शनिवार को राजनीतिक दल के नेताओं की एक तत्काल बैठक बुलाई, जिसमें गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए जनता के विरोध के कारण देश में संकट पर चर्चा की गई। विक्रमसिंघे के कार्यालय से एक बयान में कहा गया है कि उन्होंने पार्टी नेताओं को एक तत्काल बैठक के लिए बुलाया था, जिसमें अध्यक्ष से संसद की तत्काल बैठक बुलाने के लिए कहा गया था।

यह भी जानें

राष्ट्रपति भवन की दीवारों पर चढ़ने वाले प्रदर्शनकारी अब बिना किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाए या हिंसा के शामिल हुए बिना उस पर कब्जा कर रहे हैं। हालांकि कहीं-कहीं हिंसा देखी गई है। श्रीलंकाई पुलिस ने शीर्ष वकीलों के संघों, मानवाधिकार समूहों और राजनीतिक दलों के निरंतर दबाव में आने के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शनों से पहले कोलंबो सहित देश के पश्चिमी प्रांत में सात डिवीजनों में लगाए गए कर्फ्यू को दिन में हटा लिया था।  

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