
Nimisha Priya: यमन में 2017 में की गई एक हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया को किसास कानून का सामना करना होगा। निमिषा प्रिया की फांसी मध्यस्थता के बाद कुछ दिनों के लिए टल तो जरूर गई है लेकिन अभी भी उनकी जान बचने की गारंटी नहीं मिली है। मृतक तलाल अब्दु महदी के भाई ने कहा है कि निमिषा प्रिया को किसास यानी अल्लाह के कानून का सामना करना होगा।
दरअसल केरल की नर्स निमिषा प्रिया को तलाल अब्दु मेहदी की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई है। तलाल के भाई का कहना है कि निमिषा को 'किसास' यानी 'ईश्वरीय कानून' का सामना करना होगा। निमिषा को बुधवार को मौत की सजा दी जानी थी। भारत सरकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के कूटनीतिक दबाव के कारण इसे टाल दिया गया है। अब उन्हें कब फांसी दी जाएगी ये तय नहीं हुआ है। भारत सरकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता तलाल के परिवार को क्षमादान देने या सजा को कम करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मृतक का परिवार अभी तक इन दोनों ही विकल्पों के खिलाफ है।
तलाल के भाई अब्देलफतह मेहदी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि निमिषा को क्षमादान नहीं मिलेगा। अब्देल फतेह मेहदी ने कहा है कि निमिषा को कुरान के अनुसार 'न्याय' का सामना करना होगा। मृतक के भाई ने भारतीय मीडिया की उन खबरों की भी आलोचना की है जिनमें दावा किया गया था कि तलाल का परिवार 'ब्लड मनी' (लगभग 1 मिलियन डॉलर) में अधिक दिलचस्पी ले रहा है। अब्देलफतह ने फेसबुक पोस्ट में कहा, "हमारी मांग स्पष्ट है किसास और कुछ नहीं।"
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'किसास एक' इस्लामी कानूनी सिद्धांत है। यह बाइबिल के आंख के बदले आंख की अवधारणा से मिलता-जुलता है। अरबी शब्द 'किसास' का अर्थ है प्रतिशोध' या 'प्रतिफल। कुरान में अध्याय 2, आयत 178 में इसका उल्लेख है। इसमें कहा गया है: "ऐ ईमान वालो! हत्या के मामले में तुम्हारे लिए किसास निर्धारित किया गया है: आजाद के लिए आजाद, गुलाम के लिए गुलाम, और महिला के लिए महिला। लेकिन यदि कोई अपने भाई से कुछ राहत पाता है, तो ब्लड मनी' का भुगतान सम्मानजनक और दयालु तरीके से हो।"
'किसास' ऐसे अपराधों के लिए प्रतिशोध की बात करता है जो जानबूझकर या होश हवास में किए गए हों। इसका मतलब ये है कि तलाल का परिवार मानता है कि निमिषा ने हत्या जानबूझकर की थी। इस्लामी कानून के तहत पीड़ित परिवार को प्रतिशोध का अधिकार दिया गया है। 'किसास' दो प्रकार का होता है जान के लिए जान और पीड़ित द्वारा समान चोट देना। किसास का दूसरा तरीका आधुनिक नैतिकता के अनुसार क्रूर माना जाता है। हालांकि, हत्या के मामलें में भारत और अमेरिका जैसे देशों सहित दुनिया के कई देशों में मृत्युदंड का प्रावधान है।
यमन में भी किसास सामान्य नहीं है। यहां भी आधुनिक न्यायिक संवेदनाएं इसे प्रभावित करती हैं। हालांकि यमन में प्रति व्यक्ति फांसी दिए जाने की दर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले काफी अधिक है। खासकर हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाकों में फांसी की सजा दिया जाना सामान्य है।
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