सूडान में 40,000 जगहों से निकलता है सोना, फिर भी देश में आर्थिक संकट, सोने के पीछे मारा-मारी

सूडान में अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे बड़ा सोने का भंडार है। इस सोने पर रूस की नजर है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 में ही सूडान ने 41.8 टन सोने का निर्यात किया था।

Danish Musheer | Published : Apr 21, 2023 12:11 PM IST / Updated: Apr 25 2023, 10:49 AM IST

खर्तूम: सूडान में चल रहा गृह युद्ध अभी थमा नहीं है। अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) और सेना के बीच खूनी संघर्ष अभी भी जारी है। हालांकि, RSF ईद के मद्देनजर 72 घंटे के संघर्ष विराम का ऐलान कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद तनाव बना हुआ है। हिंसा के बीचतीन हजार भारतीय भी सूडान में फंसे हुए हैं। हिंसा में अब तक 185 लोगों की जान जा चुकी है। बता दें कि सूडान में जारी संघर्ष के पीछे राजनीतिक तनाव और संघर्ष की एक लंबी कहानी है.

इसकी शुरुआत उस समय हुई जब अप्रैल 2019 में जबसे ओमर अल बशीर की सरकार गिरी है। उल्लेखनीय है कि उस समय RSF और सेना बशीर को सत्ता से हटाने के लिए साथ काम किया था। बशीर के सत्ता से बाहर होने के बाद से ही वहां के हालात नाजुक हैं। कहा जा रहा है कि हालिया हिंसा आरएसएफ और वहां की सेना के एकीकरण को लेकर है, लेकिन सूडान में जारी संघर्ष की एक और वजह है और वह सोना।

बता दें कि पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा सोने का भंडार सूडान में है। अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 से पहले जब तक अल बशीर की सरकार थी,तब तक रूस का वैगनर समूह मुख्य रूप से सूडान के खनिज संसाधनों खासतौर से सोने के खनन संसाधनों पर पूरी नजर रखता था। इतना ही नही वैगनर ग्रुप सूडान के सोने के भंडार को किसी भी अंतरराष्ट्रीय विरोध से बचाने के लिए बशीर सरकार की मदद भी करता था.

सूडान में रूस के हित

सूडान में वैगनर समूह का नेतृत्व येवगेनी प्रिगोझिन करते थे। 2019 में अल-बशीर की सत्ता जाने के बाद प्रिगोझिन ने अब्देल फतह अल-बुरहान के साथ हाथ मिलाने की कोशिश की, लेकिन 2019 में हुई हिंसा की वजह से संबध बेहतर होने के बजाय खराब हो गए। गौरतलब है कि सूडान में रूस के हित सिर्फ सोने तक ही सीमित नहीं थे।

रूस लाल सागर पर सूडान पोर्ट में एक सैन्य अड्डा बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला था। इसके बदले में रूस सूडान को हथियार और सैन्य उपकरण देता। सूडान इस सोने से काफी पैसे कमाता था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022 में ही सूडान ने 41.8 टन सोने का निर्यात किया था और करीब 2.5 अरब डॉलर की कमाई की थी।

सूडान में बड़े पैमाने पर सोने का खनन

मौजूदा वक्त में इन सोने की खदानों पर मोहम्मद हमदान दगालो और आरएसएफ मिलीशिया का कब्जा है। दूसरी तरफ रूस की तरफ से प्रिगोझिन भी सोने की खनन का काम करवाते रहते हैं। इससे पता चलता है कि सूडान में बड़े पैमाने पर सोने का खनन हो रहा है। वैगनर ने हाल के दिनों में आरएसएफ और कमांडर जनरल मोहम्मद हमदान डागालो के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सूडान से दुबई और फिर रूस तक सोने की तस्करी के लिए रास्ता बनाना है.

सूडान के लिए अभिशाप है सोना

बता दें कि 1956 तक सूडान ब्रिटिश शासन का हिस्सा रहा। इस दौरान देश को अपने तेल भंडार के बारे में पता चला और वह मुख्य वित्तीय स्रोत बन गया। इसके बाद साल 2012 में देश के उत्तरी हिस्से में सोने के विशाल भंडार का पता चला। ये सोने का भंडार देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये पर्याप्त था।

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि इस दौरान हजारों लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिए यहां पर सोना लूटने को इकट्ठा हुए। कुछ लोगों के हाथ सोना लगा, वहीं कुछ लोग खदान धंस कर मर गए।

इसके बाद साल 2021 में वेस्ट कोर्डोफान प्रांत में सोने की एक खदान धंसने से 31 लोग मारे गए। बीते मार्च में ही एक खदान के धंसने की वजह से 14 लोगों की जान चली गई।

खार्तूम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अल जीली हामूदा सालेह ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि देश में 40,000 जगहों से सोने का खनन होता है। देश के 13 प्रांतों में सोने का शोधन करने वाली 60 कंपनियां हैं, दक्षिणी कोर्दोफान की 15 कंपनियां पर्यावरणीय मानदंडों को नहीं मानती हैं।

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