क्या है सिचुएशन रूम जहां बना जवाहिरी के खात्मे का प्लान, जानें किसे और कब आया था आइडिया

अलकायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी को अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल में मार गिराया। जवाहिरी को उस वक्त ड्रोन हमले में मारा गया, जब वो घर की बालकनी पर टहल रहा था। बता दें कि जवाहिरी के खात्मे की पूरी प्लानिंग व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम में हुई। आखिर क्या है ये रूम और कैसे बना? जानते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 2, 2022 8:50 AM IST / Updated: Aug 02 2022, 03:06 PM IST

Al Zawahiri Killed: आतंकी संगठन अलकायदा के चीफ अयमान अल-जवाहिरी को अमेरिका ने मार गिराया है। इस बात की पुष्टि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार सुबह की। बता दें कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने 1 जुलाई को जवाहिरी के खात्मे का पूरा प्लान बाइडेन के सामने रखा था। इस दौरान व्हाइट हाउस में बने सिचुएशन रूम में ही जवाहिरी के घर का मॉडल बनाकर बाइडेन को दिखाया गया था। इसके बाद सीआईए के इस ऑपरेशन से पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद बाइडेन ने 28 जुलाई को जवाहिरी का खात्मा करने की मंजूरी दी थी। आखिर क्या है वो सिचुएशन रूम, जहां हुई जवाहिरी के खात्मे की प्लानिंग? आइए  जानते हैं। 

अमेरिकी राष्ट्रपति के ऑफिशियल निवास व्हाइट हाउस में बने सिचुएशन रूम को सीक्रेट रूम भी कहा जाता है। ये वही जगह है जहां वक्त-वक्त पर अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने सीक्रेट मिशन की प्लानिंग तैयार की है। चाहे फिर ओसामा बिन लादेन के खात्मे के लिए चलाया गया ऑपरेशन हो या अल जवाहिरी। हर खुफिया ऑपरेशन यहीं से एग्जीक्यूट किया जाता है। 

(फोटो : मई, 2011 में ओसामा बिन लादेन के ऑपरेशन को सिचुएशन रूम में बैठकर लाइव देखते तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा, हिलेरी क्लिंटन व अमेरिकी खुफिया विभाग के अधिकारी)

व्हाइट हाउस की सबसे सेफ जगह है सिचुएशन रूम : 
सिचुएशन रूम व्हाइट हाउस की सबसे सुरक्षित जगह है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने 2021 में यहां पर अपग्रेडेड सिक्‍योरिटी डिवाइस लगाने के लिए 46 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। इसे व्हाइट हाउस का कमांड सेंटर भी कहते हैं। इसकी वजह ये है कि सितंबर 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकी हमलों के बाद जॉर्ज बुश ने यहीं से अफगानिस्‍तान में घुसने की स्ट्रैटजी तैयार की। इतना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी 2011 में इसी रूम में बैठकर ओसामा बिन लादेन को खत्म करने का पूरा ऑपरेशन दिखा था। 

(फाइल फोटो:खुफिया विभाग के अफसरों के साथ सिचुएशन रूम में मीटिंग करते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन)

कब और कैसे आया सिचुएशन रूम का आइडिया?
सिचुएशन रूम बनाने का आइडिया अमेरिकी राष्‍ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को आया था। वो जनवरी, 1961 से नवंबर, 1963 तक राष्ट्रपति रहे। इस दौरान अप्रैल, 1961 में क्‍यूबा में फिदेल कास्‍त्रो को हटाने के लिए अमेरिका की सेना ने 'बे ऑफ पिग्‍स' मिशन लॉन्‍च किया था। लेकिन ये ऑपरेशन फेल हो गया। इसके बाद दुनियाभर में अमेरिका की किरकिरी हुई। इसके बाद कैनेडी ने कहा कि व्हाइट हाउस में एक जगह ऐसी होनी चाहिए जहां से किसी भी ऑपरेशन पर रियल टाइम नजर रखी जा सके। इसके बाद सिचुएशन रूम बनाया गया। 

क्या होता है सिचुएशन रूम में?
सिचुएशन रूम में अमेरिकी राष्‍ट्रपति को खुफिया ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही ऑपरेशन में कोई बदलाव या सुझाव को लेकर भी यहीं पूरी प्लानिंग होती है। इस खुफिया जगह पर 7 कमरे हैं और यहां 24 घंटे कमांडोज तैनात रहते हैं। सिचुएशन रूम का सिक्योरिटी स्टॉफ अलग होता है। इसके लिए पांच टीमें हैं, जिसमें 30 सीनियर अफसर होते हैं। ये सभी इंटेजीजेंस के साथ ही हर सिचुएशन में लड़ने में माहिर होते हैं। बता दें कि इस सिचुएशन रूम में राष्‍ट्रपति के अलावा नेशनल सिक्‍योरिटी एडवाइजर, खुफिया एजेंसियों के प्रमुख और नेशनल सिक्‍योरिटी सेंटर के स्‍टाफ को ही जाने की परमिशन होती है।  

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