
Dancing Plague: नाचना यानी डांस को हमेशा बॉडी के लिए एक अच्छा वर्कआउट माना जाता है। इससे जहां शरीर फिट रहता है, वहीं आपके पास एक एक्स्ट्रा स्किल भी आ जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यही डांस एक शहर में उस वक्त लोगों के लिए सामूहिक मौत बनकर सामने आया, जब नाचते-नाचते 400 लोग मौत के मुंह में समा गए।
आज से करीब 507 साल पहले 14 जुलाई, 1518 को फ्रांस के स्ट्रॉसबर्ग शहर में फ्राउ ट्रोफिया नाम की एक महिला ने सड़क पर नाचना शुरू किया। उसे देख कुछ ही घंटों में एक के बाद एक सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और पुरुष नाचने लगे। धीरे-धीरे इनका रवैया अनकंट्रोल होता गया और सबके पैर खून से लथपथ हो गए। अकेली फ्राउ से शुरू हुए इस डांस को पहले 34 लोगों ने ज्वॉइन किया और फिर ये आंकड़ा 400 तक पहुंच गया। इनमें से कई तो नाचते-नाचते गिरने लगे और उनकी मौके पर ही मौत होने लगी।
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फ्राउ के साथ डांस करने वाले लोग नाचते-नाचते मौत के मुंह में समाने लगे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। धीरे-धीरे लोग एक-दूसरे पर गिरते-पड़ते और मरते रहे। यहां तक कि एक दिन में 15 से ज्यादा मौतें होने लगीं। कुछ लोग इसे मानसिक उन्माद बता रहे थे, तो कई इस मास हिस्टीरिया को पागलपन कह रहे थे।
उस समय के डॉक्टरों ने इसे ‘डांसिंग प्लेग’ या कोरियोमेनिया नाम दिया। उनका कहना था कि ये गर्म खून की वजह से हुआ। वहीं कुछ लोगों ने इसकी वजह फ़ूड पॉइजनिंग को माना। कोई इसे एर्गोट फफूंद से होने वाली बीमारी तो कोई जहरीली ब्रेड के सेवन से हुई फूड पॉइजनिंग मान रहा था। इतना ही नहीं, उस वक्त अंधविश्वास काफी प्रचलित था, ऐसे में कुछ लोगों ने इसे सेंट विटस का शाप मान लिया।
कहते हैं जहर ही जहर को काटता है। ऐसे में 'डांसिंग प्लेग' से बचने के लिए डांस ही इस बीमारी का उपचार बनकर सामने आया। शहर के बीचोबीच एक बड़ा-सा स्टेज बनवाया गया, जहां म्यूजिशियन को रखा गया ताकि डांसिंग प्लेग से पीड़ित लोग दिल खोलकर नाच सके।
जुलाई, 1518 में शुरू हुई ये बीमारी धीरे-धीरे सितंबर तक अपने आप खत्म हो गई। 1518 में फैली इस रहस्यमय बीमारी को लेकर आज भी एक सस्पेंस बना हुआ है। इसका सटीक कारण किसी को नहीं मालूम। डांसिंग प्लेग को आज भी इतिहास के सबसे अजीबोगरीब और अनसुलझे रहस्यों में गिना जाता है।
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