
Pope Election Process: ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल की सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर निधन हो गया। उन्होंने 88 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। पोप फ्रांसिस के दुनिया को अलविदा कहने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि उनका उत्तराधिकारी यानी नया पोप कौन बनेगा? वैसे इसको लेकर कई नामों पर कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा जिनके नाम की है, वो हैं कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन।
70 साल के कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन इटली के रहने वाले हैं। वे पोप फ्रांसिस के विदेश मंत्री रहे हैं। फिलहाल पोप का उत्तराधिकार संभालने के सबसे ज्यादा चांस इन्हीं के हैं। पिएत्रो पारोलिन ने 10 साल पहले अमेरिका-क्यूबा के बीच संबंधों में आई दरार को खत्म करने का काम किया था। इसके अलावा 2018 के वेटिकन-चीन समझौते में मध्यस्थता कराने में भी उनका बड़ा योगदान रहा है।
इसके अलावा पोप के उत्तराधिकारी के तौर पर कुछ और नामों पर चर्चा चल रही है। हालांकि, अभी अंतिम रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है।
1- कार्डिनल लुइस एंटोनियो टैगले
फिलिपींस के रहने वाले 67 साल के लुइस एंटोनियो टैगले लंबे समय से वेटिकन से जुड़े हुए हैं। अगर वो चुने जाते हैं, तो एशिया महाद्वीप के पहले पोप होंगे।
2- कार्डिनल पीटर टर्कसन
वेस्टर्न अफ्रीकी देश घाना के रहने वाले कार्डिनल पीटर टर्कसान मल्टीलिंगुअल और बाइबिल के विद्वानों में से एक हैं। 76 साल के लंबे समय से पोप की रेस में शामिल हैं। हालांकि, समलैंगिकता और सोशल जस्टिस जैसे मुद्दों पर उनके उदार विचारों की वजह से उन्हें अपने ही देश के कुछ कार्डिनल्स और बिशपों के विरोध का सामना करना पड़ा है।
3- कार्डिनल पीटर एर्डो
हंगरी के रहने वाले 72 साल के कार्डिनल पीटर एर्डो वर्तमान पोप की तुलना में ज्यादा रूढ़िवादी हैं। 1956 में सोवियत सैनिकों ने उनके घर को जला दिया था। पोप के उत्तराधिकारियों की रेस में उनका नाम भी शामिल है।
4- कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवो
लैटिन अमेरिकी देश पेरू के रहने वाले कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवो फिलहाल डिकास्ट्री फॉर बिशप्स के प्रीफेक्ट हैं। 56 साल के प्रीवो को पोप फ्रांसिस ने हाल ही में कार्डिनल बनाया था, जिससे माना जा रहा है कि वो भी चर्च में अच्छा दबदबा रखते हैं।
5- कार्डिनल मातेओ ज़ुप्पी
इटली के रहने वाले 70 साल के ज़ुप्पी बोलोग्ना आर्चबिशप और सेंटएगिडियो समुदाय के प्रमुख मेंबर हैं। वे लंबे समय से सोशल वर्क और सामाजिक कार्यों और शांति मध्यस्थता में एक्टिव हैं। पोप फ्रांसिस ने उन्हें रूस-यूक्रेन जंग में मध्यस्थता की जिम्मेदारी सौंपी थी।
पोप के चुनाव की प्रॉसेस बेहद सीक्रेट होती है। चर्च के नियमों के मुताबिक, पोप के चुनाव में कॉर्डिनल वोट डालते हैं। इतना ही नहीं, 80 साल से कम उम्र वाले कार्डिनल ही नए पोप को चुनने के लिए वोटिंग कर सकते हैं। इनकी संख्या 115 होती है। चुनाव वेटिकन सिटी में चैंबरलिन चर्च की देखरेख में सिस्टीन चैपेल में होता है।
पोप बनने के लिए किसी भी कार्डिनल को दो-तिहाई बहुमत मिलना जरूरी होता है। यानी अगर किसी को 77 कार्डिनल्स के वोट मिल जाते हैं, तो वो अगला पोप होता है। चुनाव में कागल के मतपत्रों का इस्तेमाल होता है। सबसे पहले तीन-तीन कार्डिनल्स के 3 ग्रुप बनाए जाते हैं। पहला ग्रुप स्क्रूटनियर्स बैलेट गिनता है। साथ ही ये इंश्योर करता है कि सभी कार्डिनल्स ने वोट डाले हैं या नहीं। दूसरा ग्रुप रिवाइजर यानी बैलेट की दोबारा गिनती करता है। तीसरा समूह इन्फर्मी अन्य कॉर्डिनल्स से बैलेट इकट्ठा करता है। हर कार्डिनल दिन में 4 बार वोट डालते हैं।
सभी फेज की वोटिंग के बाद बैलेट पर एक खास तरह का केमिकल डालकर भट्टी में रखा जाता है, जिससे काला-सफेद धुआं चिमनी से बाहर निकलता है। अगर चिमनी से काला धुआं निकलता है, तो चुनाव प्रक्त्रिया अभी चल रही है और अंतिम फैसला नहीं हुआ है। वहीं सफेद धुआ होने पर ये संकेत दिया जाता है कि पोप का चयन हो चुका है। इसके बाद नए पोप बेसिलिका की बालकनी में पहुंचते हैं। उसके बाहर बड़ी संख्या में लोग उनकी एक झलक पाने का इंतजार कर रहे होते हैं।
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