S-400 से यूक्रेनी ड्रोन अटैक क्यों रोक नहीं पाया रूस, हुई क्या गलती, भारत से क्या ले सकता है सीख?

Published : Jun 02, 2025, 02:06 PM ISTUpdated : Jun 02, 2025, 02:13 PM IST
s 400 air defence

सार

यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूस के 41 सैन्य विमानों को तबाह कर दिया, जिससे रूस की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सफलता के बाद, रूस की नाकामी पर चर्चा हो रही है।

Ukraine drone strikes on Russia: यूक्रेन ने ड्रोन हमला कर रूस के 41 सैन्य विमानों को नष्ट कर दिया। ये हमले सीमा से 6000 km दूर तक किए गए। इसके चलते रूस के बॉम्बर विमानों के बेड़े को बड़ा नुकसान पहुंचा है। ये विमान परमाणु हमला करने में सक्षम हैं।

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि रूस जो S-400 और S-500 जैसे दुनिया के सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम बनाता है वह हमलों को रोक क्यों नहीं सका? पिछले दिनों पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष के समय भारत ने S-400 का बेहद शानदार तरीके से इस्तेमाल किया। भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान द्वारा मिसाइल और ड्रोन से किए गए हमलों को नाकाम कर दिया।

रूस खुद S-400 से ड्रोन अटैक क्यों रोक नहीं सका?

यूक्रेन द्वारा किए गए ड्रोन अटैक के बाद सवाल उठ रहे हैं कि रूस S-400 से इन्हें रोक क्यों नहीं सका? यूक्रेन ने जिस तरह रूस पर हमला किया वह चौंकाने वाला है। आमतौर पर एयर डिफेंस सिस्टम को सीमा के पास तैनात किया जाता है ताकि हमला करने आ रहे हवाई खतरों को रोक सके। यूक्रेन ने सीमा से काफी भीतर स्थिति एयर बेस को निशाना बनाया।

रूस को उम्मीद भी नहीं थी कि 4-6 हजार किलोमीटर भीतर स्थित सैन्य ठिकाने पर यूक्रेन हमला करेगा। इतनी दूर तक ड्रोन भेजने के लिए यूक्रेन ने अनोखा तरीका अपनाया। उसने ड्रोन को कंटेनरों में छिपाया और उसे ट्रक पर लोड कर टारगेट के बेहद करीब ले गया।

इस तरह के ड्रोन हमले रोकने के लिए आकाश जैसे कम दूरी तक मार करने वाले एयर डिफेंस सिस्टम को सैन्य ठिकाने पर लगाया जाता है। आज के समय के खतरे को देखते हुए एयर बेस जैसे बेहद महत्वपूर्ण ठिकाने पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाया जाता है। रूस के अंदरुनी क्षेत्र में स्थित इन एयरबेस पर ऐसे एयर डिफेंस सिस्टम की कमी थी, जिससे वह हमला रोक नहीं सका। आकार के हिसाब से रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है। S-400 से पूरे देश को कवर करना बेहद मुश्किल है।

ड्रोन के झुंड से निपटने में फेल हो जाता है S-400

S-400 का मुख्य काम मिसाइल और विमानों को हवा में नष्ट करना है। इसके लिए यह सिस्टम चार अलग-अलग तरह के मिसाइल इस्तेमाल करता है। ये मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम के लॉन्चर में लोड रहते हैं। हमलावर ड्रोन की संख्या अगर सीमित हो तब S-400 उसे रोक सकता है, लेकिन अगर ड्रोन का झुंड हो तो इसके जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल खत्म हो जाते हैं। ऐसे में कुछ ड्रोन बच जाते हैं, जो आगे बढ़कर हमला कर सकें।

भारत से क्या सीख सकता है रूस, कैसे पाकिस्तानी हमलों को रोकने में पाई सफलता?

भारत ने रूस से S-400 खरीदा है। पिछले दिनों इस एयर डिफेंस सिस्टम का पहली बार भारत ने इस्तेमाल किया। इसने पाकिस्तान के विमानों और मिसाइलों को हवा में नष्ट कर दिया। भारत ने S-400 का इस्तेमाल बेहद सूझबूझ से किया। पाकिस्तान ने जब हमला करने के लिए ड्रोन भेजे तो उन्हें नष्ट करने के लिए S-400 के मिसाइलों की जगह आकाश और दूसरे कम रेंज वाले मिसाइल इस्तेमाल किए गए। भारत ने पाकिस्तान से लगी सीमा और महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों के आसपास कई लेयर वाला एयर डिफेंस सिस्टम तैनात कर रखा था। पाकिस्तान ने कई बार एक साथ दर्जनों ड्रोन हमला करने के लिए भेजे, सफलतापूर्वक उसके सभी हमले नाकाम कर दिए गए।

भारत ने बताया है कि ड्रोन जैसे हवाई खतरे से निपटने के लिए किफायती एयर डिफेंस सिस्टम की जरूरत है। जमीन से हवा में मार करने वाले ऐसे मिसाइल जिन्हें बनाने की लागत कम हो। ऐसे मिसाइल जिन्हें बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया जा सके। इसके साथ ही जैमिंग जैसे शॉफ्ट किल तरीके का भी इस्तेमाल लाभदायक होता है।

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