World Thalassemia Day 2022: कब और क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड थैलेसीमिया डे, आखिर क्या है ये बीमारी

Published : May 07, 2022, 10:00 PM IST
World Thalassemia Day 2022: कब और क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड थैलेसीमिया डे, आखिर क्या है ये बीमारी

सार

8 मई को दुनियाभर में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे मनाया जाता है। यह दिन थैलेसीमिया बीमारी के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। बता दें कि इस बीमारी से भारत में हर साल 10 हजार से ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं।

World Thalassemia Day 2022: वर्ल्ड थैलेसीमिया डे (World Thalassemia Day) दुनियाभर में 8 मई को मनाया जाता है। यह एक आनुवांशिक रोग है, जो ज्यादातर पीढ़ी-दर-पीढ़ी माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होता है। थैलेसीमिया डे मनाने का मकसद इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करना है, ताकि वो समय रहते डॉक्टर के माध्यम से इसे डायग्नोस कर इलाज शुरू कर सकें। इसके साथ ही इस दिवस को मनाने का उद्देश्य थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के का इलाज करने वाले डॉक्टरों का सम्मानित करना भी है। 

थैलेसीमिया डे का इतिहास : 
बता दें कि भारत में थैलेसीमिया (Thalassemia) का पहला मामला 1938 में सामने आया था। विश्व थैलेसीमिया दिवस (World Thalassemia Day) मनाने की शुरुआत 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन द्वारा हुई। थैलेसीमिया अंतरराष्ट्रीय संघ के चेयरमैन और फाउंडर जॉर्ज एंगलजोस ने थैलेसीमिया मरीजों के लिए इस दिन को मनाने का फैसला किया। तब से हर साल 8 मई को यह मनाया जाता है।  

क्या है थैलेसीमिया : 
थैलेसीमिया (Thalassemia) एक तरह का ब्लड डिसऑर्डर (रक्त विकार) है। इस रोग में आरबीसी (लाल रक्त कोशिका) की संख्या में तेजी से कमी आने लगती है। इसके साथ ही नई RBC बनना भी कम या बंद हो जाती हैं, जिसकी वजह से बॉडी में खून की कमी होने लगती है। खून की कमी के चलते मरीज की इम्युनिटी भी डाउन हो जाती है और वो एक के बाद एक कई दूसरी बीमारियों की चपेट में भी आ जाता है। इस बीमारी में खून की कमी के चलते एनीमिया हो जाता है और उसके बाद मरीज को हर दो-तीन हफ्ते में खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 

थैलेसीमिया के प्रकार : 
थैलेसीमिया (Thalassemia) दो टाइप का होता है। पहला है माइनर थैलेसीमिया और दूसरा मेजर थैलेसीमिया। किसी पुरुष या औरत के शरीर में मौजूद क्रोमोसोम में गड़बड़ी या विकार होने पर पैदा होने वाला बच्चा माइनर थैलेसीमिया का शिकार हो सकता है।  लेकिन कई बार और और आदमी दोनों के क्रोमोसोम खराब हो जाते हैं, जिसके बाद पैदा होने वाली संतान के मेजर थैलेसीमिया से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 10 हजार से ज्यादा बच्चे जन्मजात थैलेसीमिया के शिकार बनते हैं। वहीं दुनियाभर में हर साल करीब 1 लाख बच्चे जन्म से ही थैलेसीमिया से पीड़ित होते हैं।

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