Facts About Water: विश्व जल दिवस पर जानिए पानी से जुड़े कुछ डरावने तथ्य। पानी की कमी से मौतें और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरे बढ़ रहे हैं।
World Water Day: हर साल 22 मार्च को वर्ल्ड वॉटर डे यानी विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद पानी के प्रति लोगों में जागरुकता लाना और उन्हें भविष्य के लिए आगाह करना है। वैसे, एक व्यक्ति भोजन के बिना 1 महीने तक जीवित रह सकता है लेकिन पानी के बिना केवल हफ्तेभर भी जिंदा रहना मुश्किल है। कम ही लोग जानते होंगे कि धरती पर मौजूद समस्त जल में से 97% खारा है,जो महासागरों एवं समुद्रों में पाया जाता है। यानी पीने लायक पानी सिर्फ 3 प्रतिशत ही है। इसमें से भी केवल 1% जल ही पीने के लिये उपलब्ध है। दो फीसदी जमा हुआ है। ऐसे में पानी के महत्व को ध्यान में रखते हुए जानते हैं, उससे जुड़े कुछ रोचक FACTS.
दुनिया के 1.2 अरब लोग, जो कि धरती की कुल आबादी का लगभग 20% है, जल संकट वाले क्षेत्रों में रहते हैं। इन इलाकों में जल निकासी नदी के प्रवाह के 75% से ज्यादा है।
हर साल असुरक्षित पानी पीने से 12 लाख लोगों की मौत होती है। ये आंकड़ा युद्ध और सभी प्रकार की हिंसा से होने वाली मौतों से भी कहीं ज्यादा है। सबसे ज्यादा मौतें हैजा और पेचिश जैसी पानी से होने वाली बीमारियों के चलते होती हैं।
ग्लोबल लेवल पर उत्पादित 80% अपशिष्ट जल का निपटान बिना किसी ट्रीटमेंट के किया जाता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा होते हैं। ये आंकड़ा सबसे ज्यादा कम इनकम वाले देशों में है, जहां उपचार सुविधाओं की कमी है।
3000 ईसा पूर्व से 2012 तक जल संसाधनों को लेकर हिंसक संघर्ष की 265 से ज़्यादा घटनाएं दर्ज की गई हैं। साफ और पीने लायक पानी की बढ़ती कमी के चलते हाल के वर्षों में इसमें तेजी से इजाफा हुआ है।
दुनिया की आधी आबादी यानी करीब 4 अरब लोग हर साल कम से कम एक महीने के लिए पानी की कमी के चलते पैदा होनेवाले तनाव की स्थिति से गुजरते हैं। इससे उनकी आजीविका और हेल्थ पर गंभीर असर पड़ता है।
हर दिन, 5 साल से कम उम्र के 800 से ज्यादा बच्चे असुरक्षित पानी और खराब स्वच्छता से जुड़ी बीमारियों से मरते हैं। ये बताता है कि आज भी लोगों तक साफ पानी की पहुंच नहीं है।
अनट्रीटेड वेस्ट वॉटर की वजह से दुनियाभर में मीथेन गैस का उत्सर्जन 20% तक बढ़ा है। इससे जलवायु परिवर्तन संबंधी दिक्कतें पैदा होती हैं।
महिलाएं और लड़कियां हर दिन पानी इकट्ठा करने में लगभग 250 मिलियन घंटे बिताती हैं। इससे उनकी शिक्षा और रोजगार के अवसर सीमित हो रहे हैं।
चीन जैसे कुछ इलाकों में पिछले 50 साल के दौरान भूजल स्तर 14 मीटर तक गिर गया है, जिससे कृषि उत्पादकता के साथ ही ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के कुछ हिस्सों को भी खतरा है।
पृथ्वी के पानी का केवल लगभग 3% ही मीठा पानी है, जिसका दो-तिहाई हिस्सा ग्लेशियरों और ध्रुवीय बर्फ में फंसा हुआ है। इसके चलते यह मानव उपयोग के लिए काफी हद तक दुर्गम है।