सार
महागठबंधन और एनडीए (NDA) में शामिल दलों के बीच सीटों के शेयरिंग फॉर्मूले पर कोई बात नहीं बन पाई है। घमासान इतना ज्यादा है कि दोनों बड़े मोर्चों में टूट की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
पटना। बिहार में विधानसभा (Bihar Assembly election) के लिए चुनाव आयोग कभी भी तारीखों का ऐलान कर सकता है। हालांकि महागठबंधन और एनडीए (NDA) में शामिल दलों के बीच सीटों के शेयरिंग फॉर्मूले पर कोई बात नहीं बन पाई है। घमासान इतना ज्यादा है कि दोनों बड़े मोर्चों में टूट की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। महागठबंधन में वामपंथी दलों ने आरजेडी (RJD) के रवैये से परेशान होकर अलग चुनाव लड़ने के संकेत भी दे दिए हैं। उधर, एनडीए में भी हालत खराब है। हालांकि बीजेपी (BJP) ने चुनाव की घोषणा तक सहयोगी दलों में समझौते की उम्मीद जताई है।
राज्य में नवंबर तक विधानसभा की 243 सीटों पर चुनाव होने हैं। मुख्य मुक़ाबला सत्ता में काबिज एनडीए और महागठबंधन (Mahagathbandhan) के बीच है। एनडीए में बीजेपी-जेडीयू-एलजेपी के साथ हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (Hindustani Awami Morcha) है। जबकि महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी, वीआईपी और वामपंथी पार्टियां (Left Parties) हैं। हालांकि दोनों मोर्चों में सहयोगी दलों की ओर से ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावे के कारण अंतिम बात नहीं बन पा रही।
आरजेडी के फॉर्मूले पर वामपंथी नाराज
लालू यादव (Lalu Yadav) की आरजेडी (RJD) के साथ वामपंथी पार्टियों के चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि महागठबंधन में आरजेडी ने समझौते का जो फॉर्मूला तैयार किया है उसपर वामपंथी संगठनों ने खुलकर ऐतराज जताया है। दरअसल, आरजेडी ने 2015 के फॉर्मूले पर सीटों की शेयरिंग का प्रस्ताव रखा है। इसमें आरजेडी सबसे ज्यादा (चर्चा के मुताबिक 150) सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। बाकी सीटें वो दूसरे सहयोगी दलों को देना चाहती है। कांग्रेस (Congress) ने भी 80 सीटें मांगी है। आरएलएसपी (RLSP), वीआईपी (VIP) ने भी ज्यादा सीटों पर दावेदारी की है। वामपंथी संगठनों ने भी 53 सीटों पर दावा किया है। महागठबंधन में जिस तरह से दावेदारी है उसकी वजह से कोई दल झुकने को तैयार नहीं दिखता।
सीपीआई एमएल (CPI ML) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) ने तो साफ कर दिया है कि आरजेडी ने समझौते का जो प्रस्ताव दिया है वो वामपंथी संगठनों को मान्य नहीं है। दीपंकर के मुताबिक पार्टी राज्य में 100 सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। हमने 53 सीटों की सूची दी है। उन्होंने साफ किया कि सम्मानजनक उम्मीदवारी नहीं मिलने पर वामपंथी पार्टियां अकेले चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने यह ही दावा किया कि तीनों वाम दल एक साथ हैं और कहीं भी रहेंगे मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
एनडीए अपना कुनबा बचाए
आरएलएसपी (RLSP) चीफ उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) और राबड़ी (Rabari Devi) देवी से बंद कमरे में बात की। इस दौरान उन्होंने महागठबंधन में सीटों के बंटवारे और समन्वय समिति को लेकर भी चर्चा की। मीटिंग के बाद कुशवाहा ने साफ किया कि एनडीए की तरह घमासान महागठबंधन में नहीं है। एनडीए को पहले अपना घर बचाने की कोशिश करना चाहिए। महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने की बात हो रही है। कुशवाहा कई बार यह मांग दोहरा चुके हैं।
एनडीए में विवाद नहीं, समय रहते सबकुछ हो जाएगा ठीक
उधर, एनडीए में भी खींचतान जारी है। हालांकि बीजेपी के स्टेट प्रेसिडेंट संजय जायसवाल (Sanjay Jaisawal) ने कहा कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है और समझौते को लेकर कोई विवाद नहीं है। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ सबकुछ समय रहते ठीक कर लिया जाएगा। एनडीए में एलजेपी चीफ चिराग पासवान (Chirag Paswan) ज्यादा सीटें मांग रहे थे। उन्होंने नीतीश सरकार की आलोचना के साथ दबाव भी बनाने की कोशिश की मगर नीतीश (Nitish Kumar) ने एलजेपी पर अंकुश के लिए जीतनराम मांझी (Jeetanram manjhi) की हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) को तोड़कर एनडीए में मिला लिया। पिछले दिनों लगा कि जेपी नड्डा (JP Nadda) के दौरे के बाद एनडीए में चिराग एपिसोड खत्म हो जाएगा, लेकिन एलजेपी चीफ की ओर से नीतीश को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को लिखी चिट्ठी के बाद विवाद फिर से उभरकर सतह पर आ गया।
एलजेपी की मांग 43 से 36 पर पहुंची
उधर, एलजेपी की ओर से एनडीए में दिए गए प्रस्ताव की भी खबर सामने आई। चर्चाओं के मुताबिक पहले 43 सीटें मांग रही एलजेपी कम से कम 36 सीटों पर राजी बताई गई। हालांकि जीतनराम मांझी की मौजूदगी में एलजेपी को 36 सीटें देने का मतलब है कि जेडीयू (JDU) और बीजेपी को 100 से कम सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। जेडीयू बीजेपी नेताओं का पुराना वादा याद दिलाते हुए इस बार सबसे ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। बीजेपी भी 100 से कम सीटों पर लड़ने को तैयार नहीं दिखती। पिछले दिनों नड्डा, बीजेपी बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव (Bhupendra Yadav) और नीतीश की मीटिंग में इस बात पर चर्चा भी हुई थी। लेकिन लगता है कि अंतिम बात अभी बन नहीं पाई है।
जेडीयू-एलजेपी नेताओं की तू-तू मैं-मैं
एनडीए में चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच का झगड़ा दोनों की पार्टी के लिए तू-तू मैं-मैं का विषय बन गया है। चिराग खुद नीतीश पर हमला कर रहे हैं। जबकि नीतीश की ओर से उनकी पार्टी के नेताओं के साथ ही जीतनराम मांझी भी आक्रामक हैं। हमले व्यक्तिगत होते जा रहे हैं। जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने चिराग के रवैये की आलोचना की। उन्होंने वैशाली में कहा, ऐसा ही रवैया रहा तो एलजेपी नेताओं को जनता के पत्थर खाने पड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जेडीयू पर चिराग के हमले के पीछे बीजेपी है। गिरेंगे तो चिराग को जमीन तक नहीं मिलेगी।