सार
भूदान आंदोलन के दौरान बिहार सरकार को दान में मिली 1.60 लाख एकड़ जमीन 60 साल बाद वितरण के योग्य पाई गई है। इसे भूमिहीन लोगों के बीच बांटने की प्रक्रिया इस साल दिसंबर के बाद कभी भी शुरू हो सकती है।
पटना। भूमि दान अभियान के दौरान बिहार सरकार को दान में मिली 1.60 लाख एकड़ जमीन 60 साल बाद वितरण के योग्य पाई गई है। गांधीवादी नेता विनोबा भावे (Gandhian Vinoba Bhave) द्वारा शुरू किए गए अभियान के दौरान इन जमीनों को उनके मालिकों ने दान किया था। जमीन को भूमिहीन लोगों के बीच बांटने के लिए उपयुक्त पाया गया है।
बिहार सरकार के राजस्व और भूमि सुधार विभाग के सूत्रों के अनुसार 1.60 लाख एकड़ जमीन को भूमिहीन लोगों के बीच बांटने की प्रक्रिया इस साल दिसंबर के बाद कभी भी शुरू हो सकती है। 1950 से 1960 के बीच बड़े-बड़े जमीनदारों ने भूमि दान अभियान में हिस्सा लेकर अपनी जमीन दान की थी।
नदी और पहाड़ी की जमीन कर दी थी दान
जब राज्य भूदान समिति द्वारा प्रमाणीकरण के लिए उनकी जांच की गई तो पाया गया कि उनमें से कई में जमीन के डॉक्यूमेंट्स संबंधी जानकारी नहीं दिए गए हैं। इसलिए दान किए गए जमीन पर मालिकाना हक कानूनी रूप से अभी भी दान दाताओं का है। इसके अलावा भूदान समिति ने पाया कि कुछ भूखंड नदी के तल, पहाड़ियों और जंगलों में थे। राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन समस्याओं के कारण पूरी प्रक्रिया में इतनी देर हो गई।
दिसंबर के बाद शुरू होगी जमीन बांटने की प्रक्रिया
भूमिहीन लोगों के बीच जमीन बांटने की प्रक्रिया दिसंबर के बाद शुरू होगी। जो जमीन उपयुक्त पाए गए हैं उन्हें भूमिहीनों में बांटा जाएगा। अधिकारी ने बताया कि भूदान आंदोलन के तहत बिहार सरकार को 6.48 लाख एकड़ जमीन मिली थी। इस जमीन के प्रबंधन और वितरण में अनियमितताओं की जांच के लिए आयोग का गठन किया गया था। राजस्व और भूमि सुधार विभाग को आयोग की अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है।
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तीन सदस्यीय आयोग का गठन 2017 में बिहार सरकार द्वारा किया गया था। आयोग के अध्यक्ष राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार हैं। उम्मीद है कि आयोग द्वारा रिपोर्ट नवंबर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दिया जाएगा।
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