सार
प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने विधान परिषद के सभापति को पत्र लिखकर राबड़ी देवी को नेता प्रतिपक्ष का पद देने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि RJD सदन में सबसे बड़ा विपक्षी दल है और नेता प्रतिपक्ष के लिए जरुरी सदस्य भी पार्टी के पास हैं। इसके बाद राबड़ी देवी के नाम नेता विपक्ष का पत्र जारी हुआ।
पटना : चुनाव के बाद बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Council) को नेता विपक्ष मिल गया है। RJD MLC और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) को एक बार फिर यह पद मिल गया है। दो साल पहले उनकी पार्टी के पांच MLC ने साथ छोड़ दिया था और JDU के साथ चले गए थे। तब उनकी पार्टी मे सिर्फ पांच ही एमएलसी बचे जिसके कारण उनका यह पद चला गया था। अब एक बार फिर राज्य में 24 सीटों पर चुनाव हुए, जिसमें छह सीटें आरजेडी को मिली और उच्च सदन में पार्टी की सीटें बढ़कर 11 हो गईं। बता दें कि विधान परिषद में कुल 75 सदस्य हैं। नेता प्रतिपक्ष के लिए आठ सीटें चाहिए होती हैं।
8वीं तक पढ़ाई की, तीन बार मुख्यमंत्री बनी
राबड़ी देवी ने 8वीं तक पढ़ाई की है लेकिन राजनीति में उनके सामने कई धुरंधर फीके पड़ जाते हैं। जब पति लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का नाम चारा घोटाला में आया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा तो उन्होंने पत्नी राबड़ी को ही मुख्यमंत्री बना दिया। 25 जुलाई 1997 को राबड़ी देवी पहली बार मुख्यमंत्री बनी। उनका पहला कार्यकाल सिर्फ दो साल का रहा। इसके बाद वे तीन बार राज्य की सीएम रहीं। साल 1999 में वे दोबारा सीएम बनी। उसके बाद 2000 से 2005 तक तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी। इसके बाद राबड़ी देवी 2014 में लोकसभा के चुनावी मैदान में उतरी लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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क्या है विधान परिषद का समीकरण
24 सीटों पर हुए विधान परिषद चुनाव के बाद विधान परिषद का गणित बदल गया है। 75 सदस्यों में से दो-तिहाई यानी 52 सदस्य NDA के पास हैं। वहीं विपक्ष की बात करें तो राजद के 11, कांग्रेस के चार, सीपीआई के दो यानी कुल 17 सदस्य हैं। वहीं, निर्दलीय सदस्यों की संख्या भी विधान परिषद में बढ़कर पांच हो गई है। इस चुनाव के बाद इसका सदन में एनडीए को इसका फायदा मिलेगा।
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