सार

कोरोना से बचाव के लिए बिहार के अलग-अलग जिलों में लोग अब अपने स्तर से प्रयास करने लगे है। कैमूर के केसरी गांव और नवादा जिले के बुंदेलखंड मोहल्ले के लोगों ने सामाजिक दूरी अपनाते हुए खुद को कैद कर लिया है। साथ ही बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। 
 

नवादा/कैमूर। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए बिहार के एक गांव और नवादा जिले के एक मोहल्ले ने खुद को आइसोलेट कर लिया है। मोलहल्लेवासियों ने प्रवेश और निकास द्वार पर बैरिकेडिंग कर बाहरी लोगों के आने-जाने वालों पर रोक लगा दी है। वहीं कैमूर जिले के चांद थाना के केसरी गांव के रहने वालों लोगों ने भी बाहर से गांव आने वालों को पहले स्क्रीनिंग के लिए अस्पताल भेज रहे हैं उसके बाद भी उन्हें गांव में प्रवेश की अनुमति प्रदान कर रहे है। कोरोना से लड़ने के लिए सामाजिक दूरी की अपनाने की बेहतरीन मिसाल पेश की है। 

केसरी में प्रवेश से पहले 100 लोगों की स्क्रीनिंग
कैमूर जिला के चांद थाना के केसरी गांव के लोगों ने देश में कोरोना वायरस के पांव पसारने के बाद बाहर से लौट रहे लोगों को गांव में प्रवेश करने से पहले अस्पताल भेज रहे हैं। गांव वालों ने अबतक 100 लोगों को गांव में घुसने से पहले अस्पताल भेज स्क्रीनिंग कराई है। गांव वाले बाहर से हर आने वाले को कह रहे हैं कि पहले अस्पताल में जांच करवा लो, फिर गांव में प्रवेश करो। 

सहमति से लॉकडाउन हुआ नवादा का बुंदेलखंड मोहल्ला
नवादा जिले के शहरी इलाके का बुंदेलखंड मोहल्ला सूबे में लॉकडाउन की घोषणा से पहले ही खुद को आइसोलेट कर चुका था। मोहल्लेवासियों ने खुद को बाकी शहर से अलग करने को यह फैसला आपसी रजामंदी से लिया। लोगों ने मोहल्ले के प्रवेश द्वार को पूरी तरह से बैरिकेंडिग कर बंद कर दिया, ताकि कोई भी व्यक्ति यहां प्रवेश नहीं कर सके। मोहल्लेवासियों का कहना है कि यह बेरिकेडिंग अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही हटेगा। 

250 लोगों ने खुद को किया बंद, मोहल्ला सैनिटाइज्ड
बुंदेलखंड मोहल्ले में 50 परिवार के 250 लोग रहते हैं। इन लोगों ने सूबे में कोरोना मरीज की मौत और दो लोगों के वायरस पीड़ित होने की सूचना के बाद पूरे मोहल्ले को सैनिटाइज्ड करवाया। इसके बाद लोगों ने एक-दूसरे से बीमारी को लेकर सावधानी बरतने की अपील की और रास्ते को बंद कर दिया और इंट्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया।