सार
'जानी.. हम तुम्हें मारेंगे, और ज़रूर मारेंगे.. लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक़्त भी हमारा होगा..' वैसे तो आप इस डायलॉग से ही समझ गए होंगे कि आज हम किस कलाकार के बारे में बात करने जा रहे हैं फिर भी बता दूं कि ये डायलॉग किसी और का नहीं बल्कि बॉलीवुड के राजकुमार (Raaj Kumar) का था। 8 अक्टूबर 1926 को पैदा हुए राज कुमार की आज 96वीं जन्मतिथि है। इस मौके पर जानिए उनसे जुड़े 10 किस्से...
एंटरटेनमेंट डेस्क. राज कुमार बॉलीवुड के उन दिग्गज कलाकारों में से थे, जो अपनी बेहतरीन अदाकारी के साथ-साथ जबरदस्त डायलॉग डीलिवरी के लिए भी जान जाते थे। मजेदार बात यह थी कि जैसे उनके डायलॉग्स थे वैसा ही उनका रियल किरदार था। एक्टिंग के अलावा वो अपनी बेबाकी के लिए भी काफी मशहूर थे। वो हर किसी से बेबाकी भरे ही अंदाज में बात करते थे। यही वजह थी कि कई कलाकार उन्हें पसंद नहीं करते थे या यूं कहें कि उनसे उलझना नहीं चाहते थे। पर इंडस्ट्री के एक डायरेक्टर को इस बात की कोई चिंता नहीं थी क्योंकि वो जानते थे कि वो अपने काम से राज कुमार को भी अपना दीवाना बना लेंगे और वो डायरेक्टर थे मेहुल कुमार। मेहुल इकलौते ऐसे डायरेक्टर बने जिनके साथ राज कुमार ने तीन फिल्मों 'मरते दम तक' 'जंगबाज' और 'तिरंगा' में काम किया। एशियानेट न्यूज ने मेहुल कुमार से राज कुमार की 96वीं जन्मतिथि पर विशेष बातचीत की। पढ़िए राज कुमार से जुड़े कुछ किस्से मेहुल की जुबानी...
'राज साहब का जन्मदिन सेलिब्रेट करने का सौभाग्य तो मुझे कभी मिला नहीं पर जब हम मद्रास में शूटिंग कर रहे थे तो राज साहब ने मेरा बर्थडे जरूर सेलिब्रेट किया था। मेरे बर्थडे पर उन्होंने एक बड़ा सा केक मंगवाया था और एक तलवार भी मंगवाई। बोले- मेहुल तुम्हारा केक हम तलवार से काटेंगे। फिर पूरी यूनिट के साथ मेरा बर्थडे सेलिब्रेट किया। राज साहब के बारे में कितना भी बोलूं वो कम है। वैसे तो ज्यादातर लोग उनके साथ काम करने से कतराते थे पर मैं अकेला ऐसा डायरेक्टर हूं जिसने उनके साथ 3 फिल्में कीं और तीनों फिल्में हिट थीं। ऐसे में राज कुमार साहब मेर साथ कम्फर्टेबल हो गए थे। पहली बार मैंने उन्हें अपनी फिल्म 'मरते दम तक' के लिए अप्रोच किया था। इस फिल्म के प्रोड्यूसर प्राणलाल मेहता साहब थे जिनके दो फिल्में राज कुमार जी पहले ही रिजेक्ट कर चुके थे। मेहता साहब को मैंने बताया कि मैंने एक स्क्रिप्ट राज साहब को सोचकर लिखी है। तो उन्होंने मुझसे कहा कि आप इस फिल्म के लिए राज कुमार को अप्रोच करो पर उन्हें यह मत बताना कि इस फिल्म का प्रोड्यूसर मैं हूं। मैंने वैसा ही किया। मैंने राज साहब को कॉल किया तो सबसे पहले तो वो बोले- 'कौन मेहुल कुमार ?' फिर मैंने उन्हें बताया कि सर कई गुजराती फिल्में बना चुका हूं और दो हिंदी फिल्में भी रिलीज हो चुकी है जो सिल्वर जुबली रहीं। आपको एक कहानी सुनाना चाहता हूं। उन्होंने टाइटल पूछा, तो मैंने बताया 'मरते दम तक'। फिर बोले टाइटल तो अच्छा है। आप रविवार को क्लब आ जाओ वहीं कहानी सुनते हैं। मैं उनसे मिलने पहुंचा तो वो आए और जब मैंने उनको स्क्रिप्ट दी जो उर्दू में थी तो उसे देखकर वो चौंक गए। फिर उन्होंने उसको पढ़ा तो एक दो पन्ने पलटकर सीधा क्लाइमैक्स पर पहुंचे। फिर खुश होकर बोले- 'अच्छा लगा ये देखकर की आपने क्लाइमैक्स भी डिटेल में लिखा हुआ है वर्ना तो आज कल सब सेट पर ही फाइनल करते हैं। आप मुझसे अगले रविवार मिलो, तब तक मैं स्क्रिप्ट पढ़कर तुमको यस और नो बोल दूंगा।' फिर अगले रविवार को जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया। बोले मुझे स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई और मैं यह फिल्म कर रहा हूं। बोले प्रोड्यूसर कौन है? मैंने बताया प्राणलाल मेहता जी। तो बोले ओह.. उनकी दो फिल्में तो मैं रिजेक्ट कर चुका हूं पर यह फिल्म करूंगा। तो इस तरह से मरते दम तक शुरू हुई।'
सूट पहनकर शर्ट बाहर रखने का स्टाइल बनाया
इसके बाद प्राणलाल जी ने मुझे टेंशन दे दी कि फिल्म को सिर्फ 6 महीने में ही पूरा करना है। हालांकि जब मैंने राज साहब को यह बताया तो वो इसके लिए भी तैयार हो गए। इसके बाद जब हम कॉस्ट्यूम डिजाइन करने बैठे तो मैंने राज साहब से कहा कि फिल्म में आपको एक ही कलर के सूट पहनने हैं। या तो ब्लैक या फिर व्हाइट। और साथ ही आप सूट पर शर्ट बाहर रखकर पहनोगे। वो थोड़ा चौंके फिर हंसने लगे और बोले कि यह कितना अजीब लगेगा। पर मैंने उनको यह बोलकर क्नवींस कर लिया कि राज साहब आप पहनोगे तो वो स्टाइल बन जाएगा और फिल्म की रिलीज के बाद हुआ भी वैसा ही। कुल मिलाकर मुझे उनके साथ काम करके ऐसा लगता था कि अगर आप उनके अपनी बात से सहमत कर लेते हो तो कोई परेशानी नहीं होती थी।
पहले दिन टैक्सी से सेट पर पहुंचे राज कुमार
इसके बाद जब हमने फिल्म 'मरते दम तक' की शूटिंग की तो सेट पर पहले दिन हम मड आईलैंड पर शूटिंग कर रहे थे। सभी राज साहब का इंतजार कर रहे थे और देखा तो राज साहब टैक्सी में आ रहे थे। यह देखकर पूरे यूनिट में हंगामा हो गया कि राज साहब टैक्सी से आए हैं। अब राज साहब जिस टैक्सी से आए उसका ड्राइवर उनसे पैसे नहीं ले रहा। वो कह रहा था कि यह दिन मुझे अपनी पूरी जिंदगी भर याद रहेगा कि राज साहब मेरी टैक्सी में बैठे। अब उस समय जुहू से मड आईलैंड का बमुश्किल 25 रुपए किराया होता था तब वो टैक्सी वाले को 500 रुपए दे रहे थे। फिर मैंने टैक्सी वाले को बोला कि प्यार से दे रहे हैं रख ले। इसके बाद राज साहब ने बताया कि मेरी कार खराब हो गई थी और मैं पहले दिन सेट पर लेट नहीं आना चाह रहा था इसलिए टैक्सी से आया।
पहले दिन ही सेट पर मुझे गले लगाया
इसके बाद हमने जब फिल्म की शूटिंग शुरू की तो उन्हें पहला शॉट कुछ अटपटा लगा पर मैंने समझाया कि एडिटिंग के लेवल से यह बेस्ट शॉट है तो वो मान गए। फिर लंच टाइम पर मुझे अपने पास बुलाया और मुझे गले लगाते हुए बोले कि मैं अपनी हर फिल्म के पहले दिन डायरेक्टर को उल्टे सीधे सजेशन देता हूं और अगर डायरेक्टर मान जाए तो उसको पूरी फिल्म में सजेशंस देता हूं पर अगर वो मुझे कन्वींस कर ले तो मैं फिर पूरी फिल्म में उसकी बात मानता हूं।
रजनीकांत और नसीरुद्दीन ने राज साहब का नाम सुनकर रिजेक्टर कर दी थी फिल्म
इसके बाद जब मैं 'तिरंगा' बना रहा था तब मैंने फिल्म में लीड रोल में सबसे पहले राज साहब को कास्ट कर लिया था। दूसरे लीड एक्टर का किरदार मैंने रजनीकांत के बारे में सोचकर लिखा था। मैंने उन्हें मद्रास जाकर यह स्क्रिप्ट सुनाई तो उन्हें बहुत पसंद आई। वो बोले बाकी सब ठीक है लेकिन मुझे एक चीज का डर है, वो है राज साहब का इसलिए मैं आपकी यह फिल्म नहीं कर सकता। ठीक ऐसा ही नसीरुद्दीन शाह ने भी किया।
नाना ने राज कुमार के साथ काम करने को लेकर रखी शर्त
फिर मेरे पब्लिसिटी डिजाइनर ने नाना पाटेकर का नाम सुझाया। मैंने उसको कॉल किया तो बोले मैं कमर्शियल फिल्में नहीं करता तो मैंने उनका बोला कमर्शियल करोगो तो पहचान बढ़ेगी। वर्ना आर्ट फिल्में तो बॉम्बे में रोज 50 लगती हैं। इसके बाद वो तैयार हुए तो मैंने उनके घर जाकर उन्हें स्क्रिप्ट सुनाई। उसको सब पसंद आया पर फिल्म साइन करने से पहले बोला कि मेरी एक शर्त है और वो ये है कि अगर राज साहब मेरे काम में दखलअंदाजी करेंगे तो मैं उसी वक्त आपकी फिल्म छोड़कर चला जाऊंगा और दोबारा वापस नहीं आऊंगा।
नाना का नाम सुनकर राज साहब भी घबरा गए
नाना पाटेकर जब फिल्म के लिए फाइनल हो गए तो मैंने इस बात की जानकारी रात में राज साहब को दी। नाना का नाम सुनकर राज साहब भी घबरा गए। बोले- 'अरे मेहुल, वो तो बड़ा ही बद्तमीज इंसान है। सेट पर गालियां देता है और मार पिटाई भी कर लेता है। उसको क्यों साइन किया? फिर मैंने राज साहब को नाना की शर्त के बारे में भी बताया तो बोले कि मैं तुम्हारी फिल्म में कभी दखलअंदाजी करता हूं क्या? तुम परेशान मत हो। फिल्म शुरू करो। इस तरह यह फिल्म स्टार्ट हुई।
पी ले पी ले गाने के दौरान हो गई दोस्ती
'तिरंगा' शुरू करने से पहले मुझे बहुत सारे लोगों ने बोला कि आपने गलत कास्टिंग कर ली है। यह फिल्म पूरी नहीं हो पाएगी। सेट पर काफी दिक्कतें आएंगी। पर फिल्म अच्छे से बनी भी और सुपरहिट भी रही। सेट पर शुरुआत में राज साहब और नाना कम बात करते थे पर फिर जब हमने 'पी ले पी ले..' गाने की शूटिंग की तो दोनों के बीच बॉन्डिंग हो गई।
बप्पी दा को देखकर बोले- 'बस मंगलसूत्र की कमी है'
मेरा मानना है कि उनके लेकर कुछ किस्से तो बन गए थे पर थोड़े बहुत किस्से तो सच ही थे। दरअसल वो बहुत मूडी किस्म के आदमी थे। उनकी जिसके साथ ट्यूनिंग हो जाती थी उसके साथ उन्हें फिर कोई परेशानी नहीं होती थी। अब एक किस्सा बप्पी दा को लेकर सुनाता हूं। एक इवेंट में बप्पी दा मेरे पास आकर बोले कि मुझे राज साहब से मिलवा दो मैं कभी मिला नहीं उनसे। मैंने बोला कि दादा उनसे मिलने का कोई फायदा नहीं है आपको एक आध डायलॉग सुनने को मिल जाएगा पर वो नहीं माने तो मैं लेकर गया और राज साहब से बप्पी दा को मिलवाया। राज साहब चुपचाप बप्पी दा को देखते रहे और फिर बोले- 'जानी, गले में सिर्फ मंगलसूत्र की कमी है...' इतना सुनकर तो बप्पी दा एकदम फ्रीज हो गए। बाद में हाथ जोड़कर नमस्ते बोलकर चले गए।
फंक्शंस में नहीं जाते थे पर मेरी बेटी की शादी में आए
जब मेरी बेटी शमीम की शादी थी तो मैं राज साहब को इनवाइट करने गया था। शमीम, डिजाइनर थी तो उसने कई फिल्मों के लिए राज साहब के कॉस्ट्यूम भी डिजाइन किए थे। शादी का कार्ड लेकर राज साहब बोले- मेहुल मैं कम ही फंक्शंस अटैंड करता हूं पर ये मेरी बेटी की शादी है तो जरूर आऊंगा। इसके बाद वो शादी में आए। बेटी को गोल्ड का हार गिफ्ट किया और काफी देर तक फंक्शन में रुके भी। लोग भी यह देखकर काफी चौंक गए कि राज साहब फंक्शन में क्या कर रहे हैं क्योंकि वो आमतौर पर फंक्शंस अटैंड नहीं करते थे।
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