सार

भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में अब स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) भी कूद पड़ी हैं। दरअसल, एक दिन पहले ग्रेटा ने किसान आंदोलन के समर्थन के लिए एक टूल किट (Toolkit) जारी किया था। इस टूल किट को लेकर जब सोशल मीडिया पर हंगामा हुआ तो ग्रेटा ने ट्वीट डिलीट कर दिया। हालांकि बाद में ग्रेटा ने दूसरा टूलकिट डॉक्यूमेंट शेयर किया, जिसमें किसानों को लेकर सोशल मीडिया पर कैसे समर्थन जुटाया जाए इस बारे में जानकारी दी गई।

नई दिल्ली। भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में अब स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) भी कूद पड़ी हैं। दरअसल, एक दिन पहले ग्रेटा ने किसान आंदोलन के समर्थन के लिए एक टूल किट (Toolkit) जारी किया था। इस टूल किट को लेकर जब सोशल मीडिया पर हंगामा हुआ तो ग्रेटा ने ट्वीट डिलीट कर दिया। हालांकि बाद में ग्रेटा ने दूसरा टूलकिट डॉक्यूमेंट शेयर किया, जिसमें किसानों को लेकर सोशल मीडिया पर कैसे समर्थन जुटाया जाए इस बारे में जानकारी दी गई। आखिर क्या है इस टूलकिट में और इसे लेकर क्यों हो रहा है इतना बवाल, आइए जानते हैं। 

बुधवार 3 फरवरी की शाम को ग्रेटा थनबर्ग ने भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने के ग्लोबल एजेंडे के तहत एक ट्वीट किया। हालांकि कुछ ही देर बाद ग्रेटा ने इसे डिलीट कर दिया। लेकिन तब तक ग्रेटा के इस ट्वीट से उनके इरादे साफ हो चुके थे कि यह किसान आंदोलन एक सोची-समझी साजिश के तहत शुरू हुआ है। इस ट्वीट में ग्रेटा ने लिखा- हम भारत में चल रहे किसान आंदोलन के साथ पूरी तरह खड़े हैं।

 

ग्रेटा ने शेयर किया अपडेटेड टूलकिट : 
हालांकि पहले ट्वीट को डिलीट करने के बाद ग्रेटा ने टूलकिट डॉक्यूमेंट के साथ एक और ट्वीट किया। इसमें ग्रेटा ने किसान आंदोलन के बारे में जानकारी जुटाने और आंदोलन का साथ देने के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इस डॉक्यूमेंट को शेयर करते हुए ग्रेटा ने लिखा- जो मदद करना चाहते हैं यह टूलकिट उनके लिए है। 8 पेज का यह डॉक्यूमेंट शेयर कर ग्रेटा ने भारत सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दवाब बनाने का एक्शन प्लान शेयर किया और इसमें पांच चरणों में दबाव बनाने की बात कही गई है। 

- इसमें समझाया गया है कि कैसे किसान आंदोलन के बारें में जरूरी अपडेट लेने हैं? 
- सोशल मीडिया पर एकजुटता दिखाते हुए हैशटैग #FarmersProtest और #StandWithFarmers के साथ फोटो और वीडियो संदेश शेयर करें। 
- अगर ट्वीट करना है तो कौन सा हैशटैग इस्तेमाल करना है? 
- अगर किसी तरह की दिक्कत आए तो कहां कॉन्टैक्ट करना है?
- क्या करने से बचना है और क्या जरूर करना है? 

फ्रैब्रिकेटेड टेम्पलेट की पेशकश : 
इस डॉक्यूमेंट को गहराई से देखने पर पता चलता है कि किस तरह किसानों के विरोध में ट्वीट करने के लिए लोगों को प्री-फैब्रिकेटेड टेम्पलेट की पेशकश की गई। फिर भले ही वो इस आंदोलन के पीछे के कारणों या तक के बारे में जानते हों या नहीं। अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना का ट्वीट 'आखिर हम इस बारे में बात क्यों न करें' इस बात की ओर इशारा करता है कि ये सब फेब्रिकेटेड है। इस ट्वीट के साथ रिहाना ने CNN के एक आर्टिकल को भी एम्बेड किया है, जिसमें कहा गया है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से पुलिस की झड़प के बाद दिल्ली के आसपास इंटरनेट को बंद कर दिया गया है। 

टूलकिट में खालिस्तानी समर्थकों के भी सबूत : 
साफ है कि गणतंत्र दिवस पर किसानों को कुछ निहित स्वार्थों के चलते उकसाया गया था, जिसका परिणाम लाल किले की घेराबंदी के रूप में सामने आया था। टूलकिट में एम्बेड किए गए कई हाइपरलिंक्स के बीच पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन द्वारा बनाई गई पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन है, जो कि खालिस्तानी समर्थक धालीवाल द्वारा स्थापित संगठन है।

टूलकिट में बताई आगे की प्लानिंग : 
26 जनवरी की योजना के बाद अब अगली प्रमुख तारीख 13-14 फरवरी है, जिसमें इस ऑपरेशन का अगला चरण चलेगा। उस दिन ग्रेटा थनबर्ग और उसके साथ शामिल साजिशकर्ताओं ने भारतीय दूतावासों, मीउिया हाउसेस और सरकारी दफ्तरों के पास जमीनी कार्रवाई की मांग की है। इस साजिश को 4 और 5 फरवरी को ट्विटर पर टेंड कराकर शुरुआत की गई है। हालांकि सामने आने के कुछ घंटों बाद इस टूलकिट को री-एडिट किया गया है, लेकिन साजिश सही मायनों में सामने आ चुकी है।