सार
विदेशी बाजारों में क्रूड ऑयल की कीमत (Crude Oil Price) में 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं भारतीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत में 300 रुपए प्रति बैरल से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है। वैसे अमरीका और भारत के कुछ देशों ने अपने स्ट्रैटिजिक रिजर्व को बाहर निकालने का ऐलान किया है।
बिजनेस डेस्क। कोविड-19 के नए वैरिएंट (New Variants of Covid-19) का असर जहां दुनियाभर के शेयरों में बाजारों में देखने को मिला, वहीं कच्चे तेल की कीमत ( Crude Oil Price Crash) में भी बड़ा इंपैक्ट देखने को मिल रहा है। अमरीका से लेकर भारत में क्रूड ऑयल की कीमत में 6 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। जहां ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 78 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हैं। वहीं दूसरी ओर अमरीकी ऑयल कर कीमत 74 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई है। वहीं दूसरी ओर भारत में कच्चे तेल के दाम 5800 रुपए से 5400 रुपए प्रति बैरल पर आ गए हैं।
विदेशी बाजारों में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम
विदेशी बाजारों में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम में 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है। भारतीय समय के अनुसार दोपहर 3 बजकर 15 मिनट पर ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 78.17 डॉलर रह गई है। आज ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत में 4 डॉलर से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है। जानकारों मानें तो अभी इसमें और गिरावट देखने को मिल सकती है।
अमरीकी ऑयल भी धड़ाम
वहीं दूसरी ओर अमरीकी ऑयल यानी डब्ल्यूटीआई में 6.11 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल के दाम में करीब 5 डॉलर की गिरावट आ चुकी है। मौजूदा समय 3 बजकर 15 मिनट पर डब्ल्यूटीआई के दाम 73.60 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे हैं। वैसे भी अमरीकी सरकार ने अपने रिजर्व को भी निकालना शुरू कर दिया है। ताकि क्रूड ऑयल की कीमत में लगाम लगाई जा सके। आने वाले दिनों में और गिरावट देखने को मिल सकती है।
भारत में भी गिरावट जारी
वहीं दूसरी ओर भारत के वायदा बाजार में भी कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट आ चुकी है।सुबह 5800 डॉलर की रेंज में ओपन होने वाला क्रूड ऑयल 5500 रुपए प्रति बैरल से नीचे आ चुका है। आंकड़ों के अनुसार मौजूदा समय में एमसीएक्स पर क्रूड ऑयल 350 रुपए प्रति बैरल की गिरावट के साथ 5487 रुपए प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। जबकि आज कारोबार 5826 रुपए प्रति बैरल पर ओपन हुआ था। एक दिन पहले 5837 रुपए रुपए प्रति बैरल पर कारोबार बंद हुआ था और तब सये कच्चे तेल की कीमत में 6 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
पिछले साल भी यही देखने को मिला था सिलसिला
पिछले साल कोरोना वायदा की वजह से क्रूड ऑयल की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिल थी। इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम कई देशों में माइनस तक में चले गए थे। मार्केट काफी खराब हो गया था। ओपेक नेशंस को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था। बीते कुछ महीनों से ओपेक देश् प्रोडक्शन कम कर और प्राइस को थोड़ा राइज कराने का प्रयास कर रहे हैं। ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके।
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क्या आम लोगों को मिलेगा फायदा
इसकी संभावना कम ही देखने को मिल रही है। जानकारों की मानें तो पिछले साल भी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने कोविड बहाना बनाकर कहा था कि बाजार में काफी उतार चढ़ाव है। जिसकी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतों को एक तरह से फ्रीज कर दिया था। मौजूदा समय में बीते 22 दिनों से कीमतें पूरी तरह से स्थिर हैं। ऐसे में अब एक और ऑयल कंपनियों को बहाना मिल गया है।
क्या चुनाव के दौरान कम करने का हो रहा है विचार
वैसे ऑयल मार्केटिंग कंपनियां हमेशा से ही किसी भी पॉलिटिकल दबाव के ना होने की बात करती हैं, लेकिन यह बात कितनी सही है इस बात का अंदाजा इसी बात सये लगाया जा सकता है कि जब भी देश में चुनाव का माहौल बना है, तब-तब पेट्रोल और डीजल के दाम में गिरावट आई है। बीते यूपी और पंजाब चुनाव से लेकर बीते साल खत्म हुए बंगाल चुनाव में आपको देखने को मिल सकता है। आने वाले कुछ महीनों में यूपी और पंजाब जैसे बड़े राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। उम्मीद यही है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमत में गिरावट तब ही करेंगी।