सार
भारत के चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद कई प्राइवेट कंपनियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए रॉकेट बनाने में रुचि दिखाई है। 23 निजी कंपनियां इसरो के लिए स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) बनाने को तैयार हैं।
Small Satellite Launch Vehicle: भारत के चंद्रयान मिशन की सफलता के बाद कई प्राइवेट कंपनियों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए रॉकेट बनाने में रुचि दिखाई है। 23 निजी कंपनियां इसरो के लिए स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) बनाने को तैयार हैं। इसके लिए कंपनियों के पास 5 साल का मैन्युफैक्चरिंग एक्सपीरियंस और सालाना 400 करोड़ रुपये का टर्नओवर होना जरूरी है। बता दें कि SSLV रॉकेट को बनवाने के लिए सरकार ने दो हफ्ते पहले ही प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को आमंत्रित किया था।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के अध्यक्ष पवन गोयनका के मुताबिक, अब तक 23 कंपनियों ने इस तकनीक के लिए काम करने में रुचि दिखाई है। ये बात अलग है कि काम इनमें से सिर्फ एक को ही मिलेगा। हम भी ये देखने के इच्छुक हैं कि प्राइवेट कंपनियां स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) तकनीक का उपयोग कैसे करती हैं।
तकनीकी हस्तांतरण पर हम आक्रामक तरीके से कर रहे काम
पवन गोयनका के मुताबिक, तकनीकी हस्तांतरण एक ऐसी चीज है, जिस पर हम बहुत आक्रामक तरीके से काम कर रहे हैं, क्योंकि हम वास्तव में ये देखना चाहते हैं कि प्राइवेट सेक्टर द्वारा ISRO की टेक्नोलॉजी का लाभ कैसे उठाया जाता है। इस क्षेत्र में बहुत कुछ हो रहा है और सबसे बड़ा SSLV तकनीक का हस्तांतरण है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा अंतरिक्ष पर आयोजित ,d अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान गोयनका ने कहा- ये शायद पहला उदाहरण है, जहां दुनिया में कहीं भी किसी एजेंसी ने लॉन्च व्हीकल के पूरे डिजाइन को ही प्राइवेट सेक्टर को ट्रांसफर कर दिया।
2033 तक भारत की स्पेस इकोनॉमी को 44 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य
पवन गोयनका ने कहा कि फिलहाल भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था (Space Economy) 8 अरब डॉलर की है और इसे 2033 तक 44 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है। इस दिशा में बहुत काम किया जा रहा है और सभी को इसके लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस अवसर पर INSPACe और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा विकसित 'अंतरिक्ष उद्योग के लिए भारतीय मानकों की सूची' भी जारी की गई, जिसमें 15 मानक शामिल हैं।
अंतरिक्ष से जुड़े कामों में प्राइवेट सेक्टर से निवेश को बढ़ावा
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA की तरह ही प्रक्षेपण व अंतरिक्ष जगत से जुड़े अन्य कामों में प्राइवेट सेक्टर से निवेश को बढ़ावा देने में जुटे हैं। इसके लिए ही भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन व प्राधिकरण केंद्र (INSPACe) बनाया गया है। SSLV के लिए कंपनियों को दिया जा रहा काम, प्राइवेटाइजेशन का पहला कदम माना जा रहा है।
ये भी देखें :
ये है भारतीय बिजनेसमैन की अरबपति संतानें, जानें कौन क्या कर रहा?