सार

ऐसा समय चल रहा है, जब स्कूल और स्कूल के बाहर बच्चों के पास सीखने के लिए अवसर ही अवसर हैं। बस जरूरत हैं, उनमें एक-एक स्किल को पहचानने की, उन्हें डेवलप करने की और तेजी से आगे बढ़ती दुनिया के लिए उन्हें तैयार करने की।

करियर डेस्क : भारत में बच्चों का भविष्य अगर बेहतर बनाना है तो आज और अभी से स्कूली एजुकेशन से ही तैयारी में जुट जाना होगा। यह समय की डिमांड है और जरूरत भी। आज स्कूल और स्कूल से बाहर दोनों जगहों पर बच्चों के सीखने के लिए काफी अवसर हैं। ऐसे में इसका फायदा उठाना चाहिए। तेजी से बदलती दुनिया और हाईटेक होती टेक्नोलॉजी के बीच स्किल पर फोकस सबसे जरूरी है। उम्र के हिसाब से स्कूल के अंदर और बाहर दोनों जगह सीखने के अवसर ही अवसर हैं। कम्युनिकेशन, क्रिएटिविटी, अलग तरह की सोच और प्रॉब्लम सॉल्विंग होना इस सेंचुरी के ऐसे स्किल्स हैं, जिनके बीज बच्चों में शुरुआत से ही डाल देने चाहिए। ताकि वे अलग तरह की क्षमताओं से लैस होकर आगे बढ़ सकें।

सिर्फ 50 प्रतिशत यूथ में ही जॉब की स्किल

इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2023 में कहा गया है कि सिर्फ 50.3% युवाओं के पास ही जॉब पाने की स्किल मिली है। ऐसे में ग्लोबल लेवल पर आगे निकलने के लिए दुनियाभर में हो रहे बदलावों को पहचानने और 21वीं सेंचुरी के एजुकेशन सिस्टम में आने की तत्काल जरूरत है। इस सेंचुरी के स्किल की बात करें तो 5C यानी Critical Thinking, Creativity, Communication, Collaboration और Character एक फ्रेमवर्क की तरह काम करते हैं। आज की तेजी से बदलती दुनिया में आगे बढ़ने और सक्सेस पाने के लिए ये सफल होने के लिए आवश्यक स्किल्स हैं। एजुकेशन सिस्टम के जरिए स्टूडेंट्स को इन स्किल्स की हेल्प से 21वीं सेंचुरी की कठिनाईयों से निपटने, उनके हिसाब से इनोवेटिव और सोशल बनाने का काम किया जा सकता है। बेसिक एजुकेशन में ये किसी स्टूडेंट्स को काफी प्रोग्रेसिव बना सकती हैं।

बच्चों के लिए 5 स्किल सबसे जरूरी

सीखने की उत्सुकता

जब छात्र सीखने में इंट्रेस्ट रखते हैं तो उन्हें अपने आसपास की चीजों से ही उत्सुकता होती है। आज सेलेबस भी पूरी तरह इनोवेटिव हो रहे हैं. जो छात्रों को इनोवेटिव एक्टिविटीज, सेलेबस और और एजुकेशनल एक्विपमेंट से भी परिचित करा रहे हैं। उन्हें यह भी तय करना होगा कि छात्र इसके लिए आगे आएं और उनमें इंट्रेस्ट जगे। शुरुआती एजुकेशन सिस्टम में यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह उनका मार्गदर्शन करती है। किसी चीज को सीखने की इच्छा 21वीं सदी की आधारशिला बन गई है, क्योंकि यह क्रिएटिविटी, इनोवेशन और परिवर्तन का केंद्र है। सवाल पूछना, किसी चीज को कनेक्ट करना और जवाब भी ढूंढना एक अच्छी पर्सनालिटी की नींव बन जाता है।

लीक से हटकर थिंकिंग करना

21वीं सेंचुरी के छात्रों को आगे बढ़ना है तो उनमें लीक से हटकर सोचने की क्षमता का होना बेहद जरूरी है। यह तभी जरूरी है, जब बच्चों को इनोवेशन और किसी समस्या के तत्काल समाधान के लिए तैयार किया जाए। 21वीं सदी के स्किल में से यह भी उनके सेलेबल का हिस्सा होना चाहिए। यह उनके ओवरऑल डेवलपमेंट के लिए महत्वपूर्ण है। इससे जीवन में आए दिन आ रही चुनौतियों से निपटने और नेतृत्व करने लायक बच्चों को बाया जाता है। ज्यादा बिजी बच्चे सोशल कनेक्ट, क्लास एक्टिविटीज और अपने फ्रेंड्स से सीखेंगे।

क्रिएटिविटी

रेगुलर की पढ़ाई से बच्चे बोर भी हो सकते हैं। सेलेबस पढ़ते-बढ़ते वे थक सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह उस उम्र में उनकी जरूरत को पूरा नहीं करती है। इसलिए क्लास में बच्चों को सीखाने का नया तरीका अपनाना चाहिए। उन्हें किताबों से हटकर क्रिएटिव बनाने पर जोर देना चाहिए। खेल-खेल में सीखना, डांसिंग, सिंगिंग, एक्टिंग, कहानी लिखना-पढ़ना और सुनाना जेसी अनेक चीजों से सिखाया जा सकता है। इससे उनकी क्षमताएं काफी बेहतर होती हैं, इमोशनल ताकत बढ़ती है और वे किसी की मदद करने के लिए भी तैयार रहते हैं। यानी इससे उनका संपूर्ण विकास होता है।

कम्युनिकेशन

आज दुनिया में काफी कुछ बदल रहा है। भारत में ही नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 जैसे कई बदलाव आने से छात्र तेजी से बदलाव और बिल्कुल नई चीज फेस कर रहे हैं। ऐसे में उनके सवालों के जवाब के लिए कम्युनिकेशन सबसे जरूरी होता है। ताकि वे अपने फ्रेंड्स, टीचर, पैरेंट्स के सामने अपनी बात रख सकें। बच्चों का कम्युनिकेशन जितना बेहतर होगा, उनका फ्यूचर भी उतना ही ब्राइट हो सकता है। यह उन्हें बड़े होने पर कई तरह की चुनौतियों से बाहर निकालेगा और बड़े पदों तक पहुंचा सकता है। ऐसे में उनके अंदर कम्युनिकेशन स्किल डेवलप करने पर फोकस करना चाहिए।

सहयोग की भावना

यह इस सेंचुरी की सबसे महत्वपूर्ण स्किल में से एक है। इससे बच्चों को खुद के बारें में भी पता चलता है और उन्हें किसी की मदद के लिए तैयार होना पड़ता है। इसलिए, पर्सनल डेवलपमंट के साथ क्लास में बच्चों में सहयोग की भावना डेवलप करने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें टीम के साथ काम करना सिखाना चाहिए। जब बच्चे एक टीम बनकर किसी प्रोजेक्ट या काम को करेंगे तो उनमें एक-दूसरे की मदद की भावना भी विकसित होगी, जो उन्हें काफी आगे तक ले जाने में मदद करती है।

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