सार

आजकल साइबर अटैक का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह अटैक बड़ी कंपनियों से लेकर सरकारों की वेबसाइटों पर होने लगा है। दुनिया भर में ऐसे हैकर्स बड़ी संख्या में हैं जो साइबर अटैक कर किसी भी कंपनी का कामकाज ठप्प कर दे सकते हैं या महत्वपूर्ण डाटा चुरा सकते हैं।
 

करियर डेस्क। आजकल साइबर अटैक का खतरा बढ़ता जा रहा है। यह अटैक बड़ी कंपनियों से लेकर सरकारों की वेबसाइटों पर होने लगा है। दुनिया भर में ऐसे हैकर्स बड़ी संख्या में हैं जो साइबर अटैक कर किसी भी कंपनी का कामकाज ठप्प कर दे सकते हैं या महत्वपूर्ण डाटा चुरा सकते हैं। इस डाटा को वे बेच कर भारी कमाई करते हैं। अब कंपनियों से लेकर सरकारें तक इस तरह के साइबर अटैक के खतरे को लेकर आशंकित रहती हैं। बात दें कि इस हमले से बचाव का काम भी हैकिंग का तरीका जानने वाले ही कर सकते हैं। इन्हें एथिकल हैकर कहा जाता है। भारत में अभी इस तरह के हैकर्स कम ही हैं, लेकिन इस क्षेत्र में कमाई बहुत ज्यादा है। सरकार से लेकर बड़ी कंपनियां तक एथिकल हैकर्स को साइबर अटैक के खतरे से बचाने के लिए बड़ी रकम का भुगतान करते हैं। यह राशि करोड़ों में होती है। 

भारत में कम हैं एथिकल हैकर्स
दुनिया के बड़े देशों में तो एथिकल हैकर्स आज सालाना लाखों डॉलर की कमाई कर रहे हैं। लेकिन भारत में अभी इस तरह के हैकर्स कम ही हैं। इस फील्ड में अभी सबसे बड़ा नाम पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले राहुल त्यागी का है। ये एथिकल हैकिंग में ट्रेनिंग देने का काम भी करते हैं। राहुल त्यागी फिलहाल चंडीगढ़ में बतौर साइबर सिक्युरिटी स्पेशलिस्ट काम कर रहे हैं। इनके अलावा सैमसंग के ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट प्रणव मिस्त्री, टीवी होस्ट और लेखक अंकित फादिया, माइक्रोसॉफ्ट के साथ इंटर्नशिप कर चुके कौशिक दत्त और साल 2006 में सिक्युरिटी शॉटआउट कॉम्पिटीशन में विजेता रह चुके रामचंद्रन का नाम भी एथिकल हैकर्स में उल्लेखनीय है। रामचंद्रन आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक कर चुके हैं। 

कानूनी तौर पर किया जाता है यह काम
एथिकल हैकिंग का काम कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त है। यह काम वही कर सकता है, जिसे कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर, इंटरनेट और वेबसाइट्स के बारे में गहरी जानकारी हो। इस काम के लिए हैकर्स इंटरनेट कोडिंग का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि हैकिंग के जरिए साइबर अटैक करने वाले अपराधी डाटा चुराने के बाद कंपनियों से करोड़ों डॉलर की फिरौती की मांग करते हैं। इनसे बचने के लिए एथिकल हैकर्स की सेवा लेना उनके लिए जरूरी है। 

कैसे करते हैं काम
एथिकल हैकर्स सबसे पहले कम्प्यूटर सिस्टम में वैसे बग का पता लगाते हैं, जिनके जरिए हैकर्स सिस्टम पर अटैक कर सकते हैं। इसके बाद वे वेब डिकोडिंग मेथड के जरिए उन्हें डिफंक्ट कर देते हैं। इसे बग हंटिंग कहा जाता है। आज इस क्षेत्र में काफी युवा करियर बनाना चाहते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों की मांग इंडस्ट्री में बढ़ रही है। हर कोई अपने सिस्टम नेटवर्क को सुरक्षित करना चाहता है। बता दें कि बग हंटिंग के लिए कंपनियां आज एथिकल हैकर्स को लाखों रुपए पेमेंट कर रही है। इस क्षेत्र में काम की कमी नहीं है, लेकिन ट्रेंड प्रोफेशनल्स की कमी काफी है।

हैकिंग सीखने में लगता है काफी समय
पुणे के एक एथिकल हैकर का कहना है कि उसने मार्क जकरबर्ग द्वारा अपलोड किया गया एक वीडियो डिलीट करने का दावा किया था। उनके इस दावे के बाद फेसबुक मैनेजमेंट से एक बड़ी राशि उन्हें इनाम के रूप में मिली। शिवम वशिष्ठ नाम के एक हैकर का कहना है कि वे भी कंपनियों को हैकिंग से सुरक्षा देकर साल में करीब एक लाख डॉलर तक की कमाई कर रहे हैं। वे दुनिया की बड़ी कंपनियों के लिए हैकिंग का काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि हैंकिंग सीखना बहुत आसान नहीं है। उन्होंने यह सीखने के लिए अपनी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़ दी थी। अब वे कोड में कमी तलाशने का काम करते हैं और इसे ही अपना करियर बना लिया है। इस क्षेत्र में आमदनी लगातार बढ़ती जाएगी, क्योंकि कंपनियां अगर साइबर सुरक्षा को पुख्ता नहीं करेंगी तो हैकर्स उनका डाटा चुरा कर किसी को बेच सकते हैं।