सार
कैंडिडेट को खुद पर भरोसा होना चाहिए कि वह इस एग्जाम को क्वालिफाई कर सकता हूं। वो चाहे किसी भी अटेंप्ट में क्यों नहीं हो।"
नई दिल्ली. सरकारी नौकरी का क्रेज इतना बढ़ गया है कि हर दूसरा बच्चा सिविल सर्विस की तैयारी करने में लगा है। लाखों बच्चे हर साल अपना भविष्य आजमाने के लिए सिविल सर्विस परीक्षा देते हैं। कई कई बार बच्चे असफल हो जाते हैं। बहुत से लोग कई प्रयास में सिविल सर्विस परीक्षा पास कर पाते हैं। वहीं, कुछ कैंडिडेट्स ऐसे भी होते हैं जो अपने पहले ही अटेंप्ट में देश की ये सबसे बड़ी परीक्षा को क्वालिफाई कर लेते हैं। ऐसे लोग कोई खास स्ट्रेटजी अपनाते हैं।
इनके लिए यूपीएससी कोई पहाड़ तोड़ने जैसी परीक्षा नहीं होती है। ऐसे ही एक योद्धा हैं जिन्होंने पहली बार में IAS दिखाया। साल 2018 में अपने पहले अटेंप्ट में लोकेश यादव ने 452 रैंक हासिल की थी। लोकेश ने परीक्षा पास करने के लिए खास रणनीति बनाई। वो सफल भी रहे।
खुद पर भरोसा करें
यूपीएससी की तैयारी करने वाले बच्चों के लिए लोकेश यादव ने अपनी रणनीति का खुलासा किया। उन्होंने बच्चों को टिप्स दिए। लोकेश के मुताबिक, "सिविल सर्विस की परीक्षा को क्वालिफाई करने का पहला स्टेज है खुद पर भरोसा। कैंडिडेट को खुद पर भरोसा होना चाहिए कि वह इस एग्जाम को क्वालिफाई कर सकता हूं। वो चाहे किसी भी अटेंप्ट में क्यों नहीं हो।"
टाइम मैनेजमेंट
लोकेश कहते हैं कि 'दूसरी अहम चीज है टाइम मैनेजमेंट। यूपीएससी की परीक्षा में सब्जेक्ट काफी होते हैं और उनका सिलेबस भी काफी बड़ा होता है। ऐसे में जरूरी है कि एक आदमी अपनी प्राथमिकता को तय करें कि कौन से सब्जेक्ट की तैयारी पहले करनी है। मैं केवल उन टॉपिक्स पर फोकस करता था जिससे ज्यादा सवाल पूछे जाते थे।'
लगातार लें फीडबैक
योगेश के मुताबिक "तीसरी जरूरी चीज है कि आप लगातार अपनी तैयारियों का फीडबैक लें। जब तक आपको ये पता नहीं होगा कि आपकी रणनीति आपके लिए काम कर रही है या नहीं आप फाइनल एग्जाम में इसका फायदा नहीं उठा पाएंगे।"
फाइनल रेस से पहले ट्रायल रेस करें
योगेश कहते हैं जैसे एक एथलीट के लिए फाइनल रेस से पहले ट्रायल रेस होती है। इसी तरह से आपके लिए टेस्ट सीरीज एक तरह का ट्रायल है। इस ट्रायल के जरिए आप अपनी तैयारियों और रणनीति का फीडबैक ले सकते हैं।
ये थी योगेश की रणनीति
योगेश अपनी रणनीति शेयर करते हुए बताते हैं कि, "प्रीलिम्स के लिए मैंने एनसीआरटी की किताबें पढ़ी थी। मेरा फोकस था टेस्ट सीरीज पर। आप जब पढ़ते हैं तो आपक पता नहीं होता कि आपको किस टॉपिक पर फोकस करना चाहिए। ये आपको टेस्ट सीरीज के जरिए पता चलती है।
मेन्स के लिए योगेश ने चारों पेपर्स की अलग-अलग मांग को पूरा किया। वो कहते हैं, आप अपने सिलेबस को बार-बार देखें। इसके अलावा पुराने पेपर्स को भी देखें। इससे आपको एक आइडिया मिलेगा। इसके अलावा केस स्टडी पर खास फोकस करें।"