सार

स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। गुजरात के केवड़िया कॉलोनी में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के सामने इसका निर्माण कराया गया है। यह 182 मीटर यानी 597 फीट ऊंचा है। एक आकलन के मुताबिक, साल 2014 से अब तक 8 मिलियन से ज्यादा लोग इस प्रतिमा को देखने आ चुके हैं।

करियर डेस्क : आज लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 147वीं जयंती (Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti) है। साल 2014 से हर साल इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day 2022) के रूप में मनाया जाता है। सरदार पटेल देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री थे। देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए उन्होंने जो योगदान दिया, वह सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है। सरदार पटेल के प्रयास से ही 560 रियासतों का भारत में विलय संभव हो सका था। भारत संघ बनाने में उनका अहम और महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सरदार पटेल की 147वीं जयंती पर आइए जानते हैं उनकी लाइफ के दिलचस्प पहलुओं के बारें में..

  • 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाड में सरदार पटेल का जन्म हुआ था।  लंदन से वकालत की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अहमदाबाद में बतौर एडवोकेट अपना करियर शुरू किया था। 
  • वकालत के दौरान ही उन्होंने देश की आजादी के लिए चल रहे आंदोलनों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। कई स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होकर उन्होंने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • 1918 में खेड़ा संघर्ष के दौरान पहली बार सरदार पटेल की तरफ से ब्रिटिश सरकार का ध्यान गया। 1928 में बारडोली सत्याग्रह को सफल बनाने के लिए वहां की महिलाओं ने उन्हें 'सरदार' की उपाधि दी थी।
  • जब भारत आजाद हुआ तब सरदार पटेल को देश का पहला उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बनाया गया। महात्मा गांधी ने उन्हें लौह पुरुष की उपाधि दी थी। 
  • आजादी के बाद सरदार पटेल ने अखंड भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 560 रियासतों को एक कर देश के एकीकरण का ऐसा काम किया, जो अविस्मरणीय है। 
  • देश के एकीकरण में उनके योगदान के चलते ही हर साल सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।
  • 15 दिसंबर 1950 को महाराष्ट्र मुंबई में सरदार पटेल ने अंतिम सांस ली।
  • साल 1991 में मरणोपरांत सरदार वल्लभ भाई पटेल को 'भारत रत्न' के सम्मान से नवाजा गया।

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