सार

यूनिसेफ और कुछ अन्य संस्थाओं द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नौकरी के लिए जरूरी योग्यता नहीं रखने वाले भारतीय युवाओं की संख्या साल 2030 तक 50 फीसदी हो जाएगी। 
 

करियर डेस्क। आज भारतीय युवा रोजगार के संकट से सबसे ज्यादा जूझ रहे हैं। सरकारी क्षेत्र के अलावा कॉरपोरेट और अन्य क्षेत्रों में भी नौकरियों की भारी कमी है। यहां तक कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर चुके युवाओं को भी मनचाही नौकरी नहीं मिल पाती। टेक्निकल एजुकेशन हासिल करने वाले युवाओं के लिए भी नौकरी के पर्याप्त अवसर नहीं हैं। ऐसे में, ग्लोबल बिजनेस कोलिएशन फॉर एजुकेशन (GBC Education), एजुकेशन कमीशन और यूनाइडेट नेशन्स चिल्ड्रन्स फंड (UNICEF) ने एक रिपोर्ट में यह कहा है कि साल 2030 तक नौकरी के लिए जरूरी योग्यता नहीं रखने वाले दक्षिण एशिया के युवाओं की संख्या करीब 54 फीसदी हो जाएगी। इस रिपोर्ट में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2030 तक नौकरी के लिए जरूरी योग्यता नहीं रखने वाले भारतीय युवाओं की संख्या 50 फीसदी होगी। 

क्या कहा यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने
एक प्रेस रिलीज में यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोरे ने कहा कि रोज करीब एक लाख दक्षिण एशियाई युवा जॉब के लिए सामने आते हैं, लेकिन उनमें से आधे 21वीं सदी की नौकरियों के लिए जरूरी योग्यता नहीं रखते। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया अभी बहुत ही कठिन स्थिति से गुजर रहा है। प्रतिभाशाली युवाओं को सही काम नहीं मिल पा रहा है और आर्थिक विकास में बड़ी बाधाएं सामने आ रही हैं। इससे युवाओं में असंतोष बढ़ेगा और ज्यादा प्रतिभाशाली युवा दूसरे क्षेत्रों में पलायन करेंगे। वहीं, ग्लोबल बिजनेस कोलिएशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जस्टिन वैन फ्लीट ने कहा कि युवाओं की स्किल को नई नौकरियों के हिसाब से विकसित करने के लिए सरकार को कोशिश करनी होगी और इसके लिए निवेश करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए बिजनेस कम्युनिटी को भी प्रतिबद्धता दिखानी होगी और सिविल सोसाइटी को भी इसमें योगदान करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं को जॉब मार्केट की बदलती जरूरतों के हिसाब से खुद को तैयार करना होगा।

2040 तक दक्षिण एशिया की आधी आबादी होगी 24 साल से कम की 
यूनिसेफ के अनुसार, आने वाले दशकों में दक्षिण एशिया की 1.8 बिलियन (1 अरब, 80 करोड़) आबादी में से आधी 24 साल से कम उम्र की होगी। यह 2040 तक दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति होगी। यूनिसेफ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हेनरिटा फोरे ने कहा कि अगर सरकार मॉडर्न एजुकेशन की सुविधाओं के लिए ज्यादा निवेश करती है और जॉब मार्केट में आने वाले युवाओं को बिजनेस सेक्टर में बेहतर अवसर मिलते हैं तो दक्षिण एशिया दुनिया में एक उदाहरण पेश कर सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब एकजुटता के साथ स्मार्ट तरीके से काम हो।

भारतीय युवाओं के सामने चुनौतियां
यूनिसेफ द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट को अर्न्स्ट एंड यंग (Ernst & Young) ने तैयार किया है। इसमें भारतीय युवाओं के सामने जो मुख्य चुनौतियां हैं, उनका खाका खींचा गया है। इनमें प्रमुख है अच्छे प्रशिक्षकों की कमी, जरूरी ट्रेनिंग प्रोग्राम का नहीं चलाया जाना और सर्टिफिकेट दिए जाने में ज्यादा समय तक चलने वाली जटिल प्रक्रिया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के ज्यादातर संस्थानों में जो पाठ्यक्रम चल रहा है, वह काफी पुराना पड़ गया है। इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी सुविधाओं की भी कमी है और स्टूडेंट्स में वह स्किल नहीं विकसित हो पाती जो आज की नौकरियों के लिए जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेकंडरी एजुकेशन में गुणवत्ता पर और भी जोर दिए जाने की जरूरत है। साथ ही, शिक्षकों की संख्या भी बढ़ानी होगी। यूनिसेफ ने कहा है कि शिक्षा व्यवस्था में आधुनिक नौकरियों के लिहाज से जरूरी बदलाव किया जाना जरूरी है।