सार
महात्मा गांधी के बारे में कथिततौर पर अपशब्द और अमर्यादित टिप्पणी करने वाले संत कालीचरण को सोमवार के दिन रायपुर की जिला अदालत में पेश किया गया। जज ने आदेश दिया कि फिलहाल कालीचरण जेल में ही रहेगा और 13 जनवरी तक उसकी न्यायिक रिमांड बढ़ा दी है।
रायपुर (छत्तीसगढ़). महात्मा गांधी के बारे में कथिततौर पर अपशब्द और अमर्यादित टिप्पणी करने वाले संत कालीचरण को सोमवार के दिन रायपुर की जिला अदालत में पेश किया गया। करीब डेढ़ घंटे तक वकीलों की दलील सुनने के बाद जज ने इस आवेदन को खारिज कर दिया है। जज ने आदेश दिया कि फिलहाल कालीचरण जेल में ही रहेगा। इस हिसाब से उसको 13 जनवरी तक न्यायिक रिमांड पर रखा गया है।
जज के सामने नहीं चलीं कोई भी दलील
दरअसल, कालीचरण रायपुर कि जिला कोर्ट में विक्रम चंद्रा की अदालत में पेश हुआ था। जहां कालीचरण के वकीलों ने बेल कराने के लिए तमाम दलीलें दीं और पुलिस की कार्रवाई को गलत ठहराया। लेकिन इसके बाद भी बात नहीं बनी और जज ने 13 जनवरी तक न्यायिक रिमांड बढ़ा दी है। अब बताया जा रहा है कि कालीचरण के वकील हाईकोर्ट में अपील करने के लिए जा सकते हैं।
महाराष्ट्र पुलिस भी कालीचरण को ले जाएगी अपने राज्य
वहीं कालीचरण को लेकर महाराष्ट्र की पुलिस ने अपने राज्य में ले जाने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस को आवेदन दिया है। क्योंकि कालीचरण के खिलाफ महाराष्ट्र के अकोला और पुणे में भी केस दर्ज हैं। मंगलवार को इसकी सुनवाई की जाएगी, इसलिए रायपुर की कोर्ट से अनुमति मिली तो महाराष्ट्र की पुलिस कालीचरण को महाराष्ट्र ले जा सकती है।
कालीचरण की गिरफ्तारी पर आमने सामने दो सरकारें
बता दें कि 30 दिसंबर को कालीचरण को छत्तीसगढ़ पुलिस ने मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार किया है। क्योंकि रायपुर में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। लेकिन एमपी से चुपचाप तरीके से गिरफ्तारी पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारों के बीच 'तलवारें' खिंच गई हैं। जहां एमपी के के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस तरह हुई गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई है। गृहमंत्री ने आपत्ति जताते हुए कहा-कालीचरण महाराज की गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ पुलिस ने जिस तरीके से की है वह संघीय मर्यादा के खिलाफ है। कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ सरकार को इंटरस्टेट प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं करना चाहिए था।
जानिए क्या है पूरा मामला
खुद को कालीपुत्र बताने वाले कालीचरण ने रायपुर धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करते हुए कहा था। 1947 में हमने अपनी आंखों से देखा कि कैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश पर कब्जा किया गया। मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया।मैं गांधी से नफरत करता हूं, मेरे हृदय में गांधी के प्रति तिरस्कार है। वहीं मैं गोडसे को कोटि-कोटि नमस्कार करता हूं, उनके चरणों में मेरा साष्टांग प्रणाम है, जिन्होंने उन्हें मार दिया।