सार
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित और पिछड़े जिलों में शुमार सुकमा के कलेक्टर ने एक गर्भवती महिला की जिंदगी बचाने ब्लड डोनेट करके एक मिसाल पेश की है। इससे पहले यहां के एसपी ने भी समय पर ब्लड डोनेट करके एक महिला को नई जिंदगी दी थी।
सुकमा. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जैसे जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थितियां ठीक नहीं हैं। खासकर गांव में रहने वालों को अकसर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर प्रशासन चुस्त-दुरुस्त और मानवीय पहलू समझने वाला हो, तो तमाम परेशानियों को दूर किया जा सकता है। ऐसा ही एक उदाहरण सुकमा के कलेक्टर ने दिया। उन्होंने एक गर्भवती को ब्लड देकर उसकी जान बचा ली। बताते हैं कि चिंतलनार निवासी 25 वर्षीय हड़मे को प्रसव पीड़ा के बाद उसके परिजन जिला हॉस्पिटल लाए थे। वहां डॉक्टरों ने जांच की, तो उसे एनीमिया निकला। महिला का ब्लड ग्रुप एक पॉजिटिव था। परिवार के किसी भी सदस्य का ब्लड ग्रुप उससे मैच नहीं किया। हॉस्पिटल में इस ग्रुप का ब्लड उपलब्ध नहीं था। महिला की हालत को देखते हुए ब्लड डोनर्स को तलाशने सोशल मीडिया पर मैसेज वायरल किए गए। कलेक्टर चंदन कुमार के पास भी यह मैसेज पहुंचा। उनका ब्लड ग्रुप भी ए पॉजिटिव था। वे फौरन हॉस्पिटल पहुंचे और ब्लड डोनेट करके महिला की जान बचा ली।
एसपी भी करते हैं ब्लड डोनेट
इससे पहले जुलाई में सुकमा एसपी शलभ सिन्हा ने ब्लड डोनेट करके सीवियर एनीमिया पीड़ित एक महिला की जान बचाई थी। तेकेलगुड़ा निवासी बुधरी को उसका पति हॉस्पिटल लेकर आया था। वो खुद भी बीमार था। दोनों के साथ एक तीन साल की बच्ची थी। जब इसकी जानकारी सोशल मीडिया के जरिए एसपी को पता चली, तो वे तुरंत हॉस्पिटल पहुंचे। एसपी के साथ एक जवान भी था। दोनों ने ब्लड डोनेट किया था।