सार
Chandra Grahan 2022: साल 2022 का अंतिम चंद्र ग्रहण 8 नवंबर, मंगलवार को पेसिफिक एरिया में शुरू हो चुका है। भारत में यह 4.28 से दिखाई देगा। शाम को 6.19 पर ये ग्रहण समाप्त हो जाएगा। भारत में इसकी धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यता रहेगी।
उज्जैन. चंद्र व सूर्य ग्रहण सामान्य खगोलीय घटनाएं हैं, लेकिन भारत में इनका विशेष महत्व है। इनसे जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं यहां प्रचलित है। इस बार साल का अंतिम चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2022) 8 नवंबर, मंगलवार को शुरू हो चुका है। भारत में यह ग्रहण 4.30 बजे के बाद कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से दिखाई देगा। ग्रहण से जुड़े कई नियम हिंदू धर्म में मान जाते हैं। मंदिरों के कपाट बंद करना भी उन नियमों में से एक है। (Why do temples close in eclipse) इस परंपरा के पीछे कई कारण छिपे हैं। आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं…
ग्रहण के दौरान पूजा पर भी पाबंदी
हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ-अशुभ के नजरिए से देखा जाता है। उसके अनुसार, ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ भी नहीं करनी चाहिए। यहां तक कि भगवान को स्पर्ष करने की भी मनाही है। ग्रहण के दौरान उसकी किरणें भी देव प्रतिमाओं पर नहीं पड़नी चाहिए। ऐसा होना अशुभ माना जाता है। इसलिए मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और किसी को भी गर्भगृह में प्रवेश करने की मनाही रहती है।
जानें क्या है परंपरा से जुड़ी मान्यता?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ग्रहण के दौरान राहु-केतु सूर्य व चंद्रमा को प्रभावित करते हैं जिसके कारण दैवीय शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है और निगेटिव शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है। इसी वजह से ग्रहण के दौरान मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पूजा भी नहीं की जाती है। बहुत जरूरी हो तो मंत्र जाप किया सकता है, लेकिन वह भी मौन रहकर।
ग्रहण के बाद जरूर करें साफ-सफाई
ग्रहण के तुरंत बाद मंदिरों की साफ-सफाई जरूर की जाती है। सिर्फ सार्वजनिक मंदिर ही नहीं अगर आपके घर में भी मंदिर है तो ग्रहण समाप्त होते ही उसे भी साफ पानी से धोएं और गंगाजल छिड़कर पवित्र करें। देव प्रतिमाओं को भी स्नान करवाएं। इससे ग्रहण के अशुभ फल नष्ट होते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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